कहे खातिर कहल जा सकेला कि भारत रत्न पुरस्कार के एलान के बरखा जवन आजु काल्हु हो रहल बा ओकरा आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से कवनो नाता-रिश्ता नइखे. बाकिर जानकार इहो मानेलें कि नेता अगर पादबो करे त ओकरा में कवनो ना कवनो राजनीतिक मकसद लुकाइले रहेला.
भिनकला के जरुरत नइखे. भोजपुरी में लिखल लेख में हिन्दी भा अंगरेजी के शिष्टता के उमेद ना राखे के चाहीं. पादबो से मतलब इहे बा कि राजनेता बेजरुरत कुछऊ ना करसु.
अब देख लीं. बिहार के सदाबहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल करावे के रहल त बिहार के मुख्यमंत्री रहल आ पिछड़ा वर्ग के सम्मानित नेता स्व. कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न देबे के एलान क के उनुका ला सुभीता करा दीहल गइल. हमरा कहे के मतलब ई इचिको नइखे कि जवना लोग के भारत रत्न सम्मान देबे के एलान हाल फिलहाल में भइल बा ऊ लोग एकरा जोग नइखे. ए जमाना रहुवे जब जवाहरलाल नेहरू के सरकार उनुका के भारत रत्न, इंदिरा गाँधी के सरकार इंदिरा दैट इज इंडिया फेम के इंदिरा गाँधी के दिहले रहुवे. अपने से अपने के सम्मानित करे के ई दू गो शानदार उदाहरण हवे. संजोग से कहीं भा दुर्भाग्य से एही वंश के राजीव गाँधी के सरकार उनुका के भारत रत्न घोषित करीत भा करे के सोचित से हो ना सकल आ उनुका के मरणोपरांते ई सम्मान दीहल जा सकल.
हँ त जब ई लोग अपने के सम्मानित करे के फैसला बेशरम होके कर लीहले रहुवे त नरेन्द्र मोदिओ के सरकार उनुको के भारत रत्न घोषित कर दीत त एहमें कवनो बुराई ना रहुवे. बाकिर मोदी सरकार में कुछ लाज-लिहाज बाचल बा. बाकिर राजनीतिक दाँवपेंच में भाजपा के मुकाबले कवनो दोसर गोल खड़ा ना हो पाई.
हँ त कर्पूरी ठाकुर के भारत रत्न दे के नीतीश के साधल गइल त आजु भारत के किसान नेता कहाए वाला आ देश के प्रधानमंत्री रह चुकल स्व. चौधरी चरण सिंह के भारत रत्न के सम्मान दे के जाट समुदाय, रालोद, आ जयंत चौधरी के साध लीहल गइल. लालकृष्ण आडवाणी के जियते जिनिगी में भारत रत्न मिले के उमेद शायद केहू के रहल होखी काहें कि मोदी के पीएम बने से रोके खातिर ऊ कवनो दाँव बाकी ना छोड़ले रहलन. बाकिर उनुको के भारत रत्न से सम्मानित करि के मोदी अपना पर लाग सकेला वाला एगो अछरंग से अपना के बचा लिहलन आ लगे हाथ हिन्दूवादियनो से जयकारा लगवा लिहलन. भारत के एगो अउर प्रधानमंत्री रह चुकल स्व. पामुलपर्थी वेंकट नरसिम्हा राव के भारत रत्न से सम्मानित करि के सोनिया गाँधी के घाव पर मरीचो छीटा गइल आ लगले हाथ दक्खिन भारतो के साध लीहल गइल. हरित क्रांति के जनक का रूप में विख्यात स्व. मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन आजु के तिसरका भारत रत्न घोषित क दीहल गइलें.
पता ना साँच कि झूठ, कहल जात रहुवे कि एक बरीस में तीन गो से बेसी भारत रत्न ना दीहल जा सके. आजु ले दिआइलो ना रहुवे. बाकिर मोदी है तो मुमकिन है फेम के नरेन्द्र मोदी अगर एके बरीस में पाँच गो लोग के भारत रत्न घोषित करा दिहलें त का अचरज.
अब हँसुआ का बिआह में खुरपी के गीत अतना गाइए चुकनी त ओकरो चर्चा करिए लेत बानी जवना के आजु के मथैला बनवले बानी एह लेख के हम. माननीय स्व. कांसीराम जी ओ के भारत रत्न घोषित कर दीहल जाव त लगले हाथ दलितो वोट बैंक के खाता खुल जाई आ के जानत बा हो सकेला कि बहिन मायावतिओ एनडीए में शामिल होखे के एलान कर देसु. पता ना गलती से उनुकर नाम छूट गइल बा कि अबहीं मौका देखि के इहो एलान हो जाई. जइसे पाँच लोग, वइसहीं छह लोग. का फरक पड़े के बा.
अतना उलट बाँसी करे के बाद आईं भारत रत्न से जुड़ल कुछ अउर बात जान लीहल जाव. अबहीं ले एके आदमी अइसन भइलें जिनका के भारत रत्न देबे के बात चलल त साफ मना कर दीहलन कि जे आदमी खुद ओह समिति में शामिल होखे जवन फैसला करेले कि केकरा के भारत रत्न दीहल जाव ओकरा के कइसे दीहल जा सकी. से मौलाना अबुल कलाम आजाद के मरणोपरांत भारत रत्न दीहल गइल.
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के मरणोपरांत भारत रत्न देबे के एलान बरीस 1992 में भइल रहुवे. बाकिर जब नेताजी के मौत के सही खबरे पर संशय बावे त उनुका के मरणोपरांत कइसे दीहल जा सकेला. आ जेकरा जिन्दा होखे के सवालो सवाले रहुवे ओकरा के अइसहीं कइसे भारत रत्न दीहल जा सकत रहुवे. से नेताजी के नामे घोषित भारत रत्न बाद में वापिस ले लीहल गइल.
आजु ले कुल 53 लोग के भारत रत्न से सम्मानित कइल गइल बा जवना में से 18 लोग के मरणोपरांत सम्मानित कइल गइल रहुवे.
बरीस 1954 से भारत रत्न सम्मान के शुरुआत भइल. बाद में बरीस 1955 में इहो तय हो गइल कि ई सम्मान मरणोपरांतो दीहल जा सकी.
आजु ले दू गो विदेशियनो के भारत रत्न से सम्मानित कइल जा चुकल बा. जवना में खान अब्दुल गफ्फार खान आ नेल्सन मंडेला के नाम शामिल बा. विदेशी मूल के मदर टेरेसो के ई सम्मान दीहल जा चुकल बा.
अउरी जाने के होखे त वीकिपीडिया पर एह बारे में विस्तृत जानकारी देखल जा सकेला.