भउजी हो ! ई सूअर के पिल्ला खिसियाइल काहें ?
ना बबुआ, भाषा के संयम राखल जरुरी होला. दोसरे सूअर के बच्चा के पिल्ला ना कहल जाला.
हमरा इयाद नइखे आवत कि सूअर के बच्चा के का कहल जाला. एहिसे हम पिल्ला कहि के काम चलावे के कोशिश कइनी ह. दोसरे पिल्ला कहतीं त ओकरा बाप के कूकूर कहे के मतलब निकल जाइत. सूअर के पिल्ला ना होला एहसे ओकरा बाप के एह पर नाराजगी ना होखे के चाहीं.
ई त हमरो अबहीं ईयाद नइखे आवत कि सूअर के बच्चा के का कहल जाला. हो सकेला कि एकरा के पढ़ेवालन के मालूम होखे. शायद ऊ लोग बता देव. बाकिर बाति का हो गइल ? के का कहि दीहल ?
एगो सूअर के पिल्ला, हम पिल्ले कहब काहें कि ओकरा बाप के हम सूअर नइखीं कहल चाहत, के नाराजगी बा कि क्रिकेट का मैदान में लोग जय श्रीराम के नारा काहें लगावत रहुवे.
रउरा त ओहू दिने खिसियाइल रहीं जब ई सनातन धर्म के उन्मूलन करे के बाति कहले रहुवे. ओहू दिने त ओकरा बाप के कवनो आपत्ति सोझा ना आइल कि ऊ अपना पिल्ला के कहले–समुझवले होखो कि एह तरह के बाति ना करे के चाहीं. एहसे अगर ओकरा बापो के लागे कि ओकरा के सूअर कहल जात बा त लागे दीं. जब ओकरा दिक्कत नइखे त हमनी के कवन दिक्कत !
हँ भउजी, जब पाकिस्तान के टीम खेल के मैदान में अपना मजहब के घुसवलसि आ मैच से पहिले सगरी टीम बीच मैदान में नमाज पढ़लसि तब त ओकरा पर ई आपत्ति ना कइलसि. बाकिर अगर भारत के समर्थक अपना भगवान के नारा लगवलें त एकरा दिक्कत हो गइल.
बबुआ, दिक्कत त बहुते लोग के भइल होखी. ई कहि दिहलसि बाकी लोग के हिम्मत ना भइल. आ एहिपर रउरा एहू के रेघरिया सकीलें कि आजु का दिने सेकूलर होखे के दावा करे वाला कवनो गोल भा गिरोह में कवनो बड़हन मुसलमान नेता नइखे लउकत. चाहे ऊ देश के संसाधनन पर मुसलमानन के पहिला हक बतावे वाला गिरोह होखो, भा माई के बात करेवाला लालू–मुलायम के खानदानी गोल, भा दलित–मुस्लिम गठजोड़ के बाति करेवाली बसपा. पता ना एहनी के पीछे–पीछे घूमत मुसलमानन के काहें नइखे लउकत ई बाति !
लउकत बा बाकिर बोल नईखन पावत. आ जे खुलेआम बोले के हिम्मत करत बा ओह ओवैसी के ई लोग भाजपा के बी–टीम साबित करे में लागल बाड़ें. आखिर देश के दुसरका बहुसंख्यक समाज एह तरह नेतृत्वविहिन हो के रही त कइसे काम चली.
ठीक कहत बानी बबुआ, बाकिर देश बूझे तब नू ?