गजल

- अशोक द्विवेदी आपन भाषा आपन गाँव, सुबहित मिलल न अबले ठाँव । दउरत-हाँफत,जरत घाम में, जोहीं रोज पसर भर छाँव । जिनिगी जुआ भइल शकुनी के, हम्हीं जुधिष्ठिर, हारीं…

गजल : बतावल लोग के औकात जाता रोज कुछ दिन से

- रामरक्षा मिश्र विमल शहर में घीव के दीया बराता रोज कुछ दिन से सपन के धान आ गेहूँ बोआता रोज कुछ दिन से जहाँ सूई ढुकल ना खूब हुमचल…

गज़ल

- डा0 अशोक द्विवेदी कुछ नया कुछ पुरान घाव रही तहरा खातिर नया चुनाव रही । रेवड़ी चीन्हि के , बँटात रही आँख में जबले भेद-भाव रही । अन्न- धन…

आसिफ रोहतासवी के दू गो गजल

-आसिफ रोहतासवी (एक) फेड़न के औकात बताई कहियो अइसन आन्ही आई. घामा पर हक इनको बाटे पियराइल दुबियो हरियाई. पाँव जरे चाहे तरुवाए चलहीं से नू राह ओराई. मोल, चलवले…

गजल

Asif Rohtasvi -आसिफ रोहतासवी अब ना बाँची जान बुझाता बाबूजी लोग भइल हैवान बुझाता बाबूजी पढ़ल लिखल हमनी के सब गुरमाटी बा उनका वेद कुरान बुझाता बाबूजी आपुस में टंसन…

गजल

- मनोज भावुक वक्त के ताप सहहीं के बाटे बर्फ से भाप बनहीं के बाटे पाप के केतनो तोपी या ढ़ाँपी एक दिन ओकरा फरहीं के बाटे जवना ‘घर’ में…

भोजपुरी गजल

- मनोज भावुक जिनगी भूलभुलइया हम हेरा जातानी. गलती उनकर बाटे हम घेरा जातानी. उ सरवा निर्लज्ज ह हम डेरा जातानी. ताकत होइहें पत्नी हम डेरा जातानी. हम कोल्हू के…

केशव के गजल – 3

- केशव मोहन पाण्डेय दहशत के किस्सा त दर्दनाक होइबे करी। ग़म के दौर में ख़ुशी इत्तेफाक होइबे करी।। माचिस के तिल्ली कबले खैर मनाई आपन, जरावल काम बा त…

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