– ओ. पी. सिंह
एह घरी गद्दारी चरचा में बा आ कुछ लोग एकरा के आपन मौलिक अधिकार बतावे लागल बा. अइसनका लोग पाकिस्तान का हित में बतियावल आपन शान समुझत बा.
सरसरी निगाह से देखनी त बुझाइल कि एह पर कुछ लिखल भा बोलल बहुते आसान रही बाकिर अब जबसे कलम उठल तब से दिमाग चक्करघिन्नी में पड़ गइल बा. गद्दारी भा देशद्रोह निरपेक्ष ना होखे. देखेवाला एकरा के हमेशा अपना नजरिया से देखेला. जवन बाति हिन्दुस्तानी ला गद्दारी मानल जाई उहे बाति पाकिस्तानियन का नजर में वतन परस्ती होखी. आ अतना त मानहीं के पड़ी कि अपना देश में पाकिस्तान परस्त इऩ्डियन भरल बाड़ें आ कवनो एके मजहब के ना, हर मजहब के.
एही पर ध्यान में आवत बा विभीषण आ जयचन्द के नाम. एगो के हमनी का सराहेनी आ दोसरका के गरियावेनी जा. जबकि देखीं त दुनू के काम एके तरह के रहुवे, अपना देश का शासक का खिलाफ विदेशी हमलावर के सहायता कइल. अपना गद्दी पर आरी चलावले के गद्दारी कहल जाला. अगर तटस्थ भाव से देखीं त कश्मीर आ बलुचिस्तान में एके तरह के आन्दोलन चलत बा – अपना मौजूदा देश से अलगा होके आजाद होखे के सपना. अगर एगो सही बा त दोसरका गलत कइसे, भा एगो गलत बा त दोसरका सही कइसे.
आ एही पर दिमाग इहो सोचत बा कि निष्पक्षता का बारे में का कहल जाव. सही से देखीं त पंच निष्पक्ष ना हो सके. ओकरा न्याय आ नैतिकता के पक्षधर होखहीं के पड़ी. बाकिर मीडिया ? मानीं चाहे मत मानीं बाकिर हर मीडिया के आपन एगो खास नजरिया होला आ ऊ हर खबर के ओही नजरिया का हिसाब से परोसेला. एगो अखबार कवनो खास खबर के तवज्जो दी त दोसरका दोसरा खबर के. आ खबर परोसले में ई नजरिया हावी होले. एही चलते लोग अलग अलग अखबार के गाहक होला भा अलग अलग चैनल के देखेला. आ ऊ लोग जे मीडिया पर नजर राखेला ऊ बहुते अखबार पढ़ेला भा रिमोट दबावत एह चैनल से ओह चैनल पर कूदत रहेला.
बाकिर सब कुछ सही मानतो होखे के इहे चाहीं कि आदमी अपना देश के तवज्जो देव आ ओकर टुकड़ा टुकड़ा करे के सपना देखे वाला के टुक्की टुक्की कर देव. बाकिर हिन्दुस्तान में रहत-खात पाकिस्तान परस्ती करे वालन के ई मंजूर नइखे. ऊ चाहत बाड़ें कि गद्दारी कइल उनुकर मौलिक अधिकार मान लीहल जाव आ सरकार उनुका खिलाफ देशद्रोह के मुकदमा मत चलावे.
आ जब गद्दारी भा देशद्रोह के कानून पर सोचीं त पाएब कि ई उहे कानून ह जवन ब्रितानी सरकार आपन सत्ता बनवले राखे ला बनवले रहुवे. आजादी का बाद उहे कानून कांग्रेस सरकार आपन सत्ता बनवले राखे ला बरकरार रखलसि आ अब मोदी सरकारो में उहे कानून बरकरार बा. अब गद्दारी के मुकदमन से जवना लोग के शिकायत बा ऊ लोग इहो बतावत चले कि पिछला साठ बरीस में एह कानून के काहे ना बदललसि लोग. सवाल जायज बा आ जब आगे कभी दोसरा गोल के सरकार बनी त हो सकेला कि भाजपो के गोल के एह कानून से शिकायत हो जाव.
सच्चाई इहे बा कि सरकार आ देश के संप्रभुता भा गद्दी बचवले राखे ला एह तरह के कानून के जरुरत हमेशा रही. देशहित का खिलाफ बोलला के कबो वैचारिक स्वतंत्रता के जामा ना पहिरावल जा सके. गद्दारी करे वाला के गोली खाए ला हमेशा तइयार रहहीं के पड़ी. तू ढेला मरब त हमार गोली तोहार स्वागत करबे करी. पैलेट गन के खिलाफत करे वाला लोगन ला अब चिन्ता वाला खबर ई आइल बा कि सरकार अब मिर्ची वाली गोली बनावे में लागल बिया. आ ओह लोग के अबहियें से छनछनाऐ लागल होखी ई सुनि के.