एकलव्य : छीजत मूल्यन के फेरु से स्थापित करे का दिसाईं एगो बेजोड़ खण्ड-काव्य
हिन्दी आ भोजपुरी के सुपरिचित रचनाकार डॉ. गोरख प्रसाद जी ‘मस्ताना’ एक ओर जहवाँ काव्य-मंच पर गेयता आ हास-व्यंग्य परोसे के कला में महारत हासिल कइला के कारन हरदम चरचा…
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– डा॰ गोरख प्रसाद मस्ताना लोर से भरल आँख अउरी मुँह पर पसरल उदासी साफ साफ झलका देला कि कवनो परानी दुख में केतना गोताइल बा. बेयाकुल चिरई के बोली…
हिन्दी आ भोजपुरी के सुपरिचित रचनाकार डॉ. गोरख प्रसाद जी ‘मस्ताना’ एक ओर जहवाँ काव्य-मंच पर गेयता आ हास-व्यंग्य परोसे के कला में महारत हासिल कइला के कारन हरदम चरचा…