एकलव्य
“एकलव्य” डॉ. गोरखनाथ ‘मस्ताना’ के एगो प्रबंध काव्य हटे, जवना के प्रकाशन सन् 2012 में खुराना पब्लिशिंग हाउस, 94, मानक बिहार, दिल्ली-110092 से भइल बा. एकर कीमत 150 रुपिया बाटे.
नौ सर्ग में विभाजित एह खंड काव्य का केंद्र में बाड़े शिष्य कुल के आदर्श महाभारत के धुरंधर वीर एकलव्य. गुरु-चेला का संबंध के उद्घाटित करत पहिलका सर्ग ‘उद्देश्य’ के एगो काव्यांश देखल जाव –
चेला जब जग में नाम करे
कवनो जब अजगुत काम करे
तऽ गुरू के हियवा हरसेला
आशीष नयन से बरसेला.
(“एकलव्य” से)
विषय-सामग्री आ काव्य-स्तर के देखत ई कहल जा सकऽता कि कई गो सम्मानन से विभूषित मस्ताना जी के ई किताबि निस्संदेह पाठक वर्ग के अपार लोकप्रियता हासिल करी.
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
ramraksha.mishra@yahoo.com