दयाशंकर तिवारी के पाँच गो कविता

- दयाशंकर तिवारी (एक) नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ पीरा पसरे लगलि पोर पोर गोइयाँ। देहिये भइल आपन अपने के भारी निरदइया अबहीं…

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