आजु फेरु सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल के कवनो राहत ना मिलल त सवाल उठल स्वाभाविक बा कि लोचा कहाँ बा!
एगो जमाना उहो रहल जब सोनिया गाँधी आपन इस्तीफा सोनिया गाँधी के सउँपत रही आ सोनिया गाँधी ओह इस्तीफा के माने से इन्कार कर देत रहली जवना का बाद सोनिया गाँधी के आदेश सिरमौर मानत सोनिया गाँधी आपन इस्तीफा वापस ले लेत रहली.
कुछ कुछ अइसने आजुकाल्हु दिल्ली में केजरीवाल का साथे हो रहल बा. पहिला बेर कवनो मुख्यमंत्री कुर्सी पर रहते जेल में भेज दीहल गइल बा आ ओकरे सरकार का तहत चले वाला तिहाड़ जेल दिल्ली सरकार के आदेश का हिसाब से काम करत केजरीवाल के कवनो रियायत नइखे देत! इहे होला कट्टर इमानदारी. ना त जेले से सरकार चलावे के दावा करत मुख्यमंत्री केजरीवाल अपना जेल मंत्री के आदेश दे दीत कि मुख्यमंत्री के जेल में रहला का दौरान उनुकर कार्यालय जेले से चलावे दीहल जाव.
पहिले त अरविन्द केजरीवाल के पत्नी सुनीता केजरीवाल अरविन्दे का कुरसी पर बइठ के प्रेस कान्फ्रेंस कर के बतवली कि दिल्ली के मुख्यमंत्री जेले से का संदेश भेजले बाड़न. आतिशी के लागल कि अगर उहो अइसने कवनो नौटंकी ना करिहें त कुर्सी दौड़ में पिछुआ जइहें त उहो केजरीवाल के एगो आदेश देखा दिहली कि कइसे केजरीवाल जेले से दिल्ली सरकार चलावत बाड़न. सौरभ के लागल कि ऊ काहे पिछुआ जासु से उहो एगो अइसने चिट्ठी जारी कर दिहलन. सभ इहे जतावत चाहत रहलन कि केजरीवाल उनुका पर भरोसा करेलें आ जरुरत पड़ला पर उनुके के मुख्यमंत्री बनवा दिहें. एह लोग के केजरीवाले के कहल ऊ बयान याद ना आइल कि मुख्यमंत्री के कुरसी छोड़े खातिर करेजा चाहीं, करेजा! लाख विरोध का बादो हम त मानत बानी कि मुख्यमंत्री के कुरसी छोड़े के करेजा केजरीवाल का लगे बा. नइखे त बस शीशमहल छोड़े के करेजा! एही चलते पहिले त सोचलें कि सुनीता के मुख्यमंत्री बना दीहल जाव जवना का बाद शीश महल पर कब्जा बनल रह जाई.
तू डार-डार हम पात-पात वाला अंदाज में पता ना ईडी के का सूझल कि संजय सिंह के जमानत के विरोध ना कइलसि आ संजय सिंह के जमानत मिल गइल. पहिले त आ.आ.पा. गोल एकरा के आपन जीत जइसन देखावे के कोशिश कइलसि बाकिर संजय सिंह कमान थाम के कमानी कसल शुरु कर दिहलन. पहिले त ई साफ करवा दीहलन कि केजरीवाल से केहू के भेंट नइखे होखत आ जे ही जात बा ऊ शीशा का दीवार का आर-पार से फोन पर बतियावत बा. अइसनका में सुनीता, आतिशी, सौरभ सभकर पत्ता काट दिहलन कि ओह लोग के केजरीवाल कवनो लिखित सनेसा भेजवले बाड़न. आ संजय सिंह के बात एकदम सही निकलल जब पंजाबो के मुख्यमंत्री भगवंत मान के भेंट ओही शीशा का दीवार का आर-पार से करावल गइल. मान त इहो कहलन कि शीशा अतना गंदा बा कि ओकरा से केजरीवाल के मुंहो साफ नइखे लउकत.
सवाल ई बा कि जब केजरीवाल के दावा बरकरार बा कि ऊ जेले से दिल्ली सरकार चलइहन त कम से कम जेले के चला के देखा देतन कि ऊ कतना पावर में बाड़न.
सवाल इहो उठत बा कि केजरीवाल के लगातार गलत सलाह काहे दीहल जात बा. पहिले त बेचारा के सीखा दीहल गइल कि ईडी के सम्मन पर जाए के नइखे आ हर सम्मन के गैरकानूनी बता के ओकरा के महटिया देबे के बा. ओकरा बाद नौ गो सम्मन नकार के केजरीवाल आपन केस अपने कमजोर करा लिहलन.केजरीवाल के सगरी राजनीतिक सलाहकार त जेल का भीतर बाड़न भा जेल जाए का डर से देश का बाहर. जे देश में बड़लो बा से चुप्पी साध के बइठल बा. अब बचले कानूनी सलाहकार जे लाखन के फीस वसूल के केजरीवाल के चना का झाड़ के गाछ बतावत ओकरा पर चढ़ावे में लागल बाड़न. पता ना एहमें कहां का लोचा बा कि कानूनी लड़़ाई में केजरीवाल के जमानत के अर्जी लगावे नइखे दीहल जात. हो सकत रहे कि जमानत के अर्जी पर न्यायालय कुछ अउर फैसला देतन. बाकिर केजरीवाल के त पंप भर भर के हवा भरल गइल बा कि खबरदार, जमानत नइखे मांगे के. हमेशा इहे कहे के बा कि गिरफ्तारिए गैरकानूनी बा. अब नौ मन तेल जुटी तब नू साफिया नाची! पहिले साबित त हो जाव कि गिरफ्तारी गैरकानूनी हवे. एही में साल छह महीना लाग जाई आ तब ओकरा बाद जमानत के अर्जी लगावल जाई. दिल्ली के लोकसभा चुनाव त गुजरिए जाई हो सकेला कि तबले दिल्ली विधानोसभा के चुनाव निपट जाव.
काश संजय सिंह के जमानत ना मिलल रहीत त अबले सगरी मामला पटरी पर आ गइल रहीत! केजरीवाल पहिले त इहे पता लगावसु कि संजय सिंह के जमानत कवना साजिश का तहत दीहल गइल बा !