नाम में का धइल बा : बाति के बतंगड़ – 20

– ओ. पी. सिंह


नाम में का धइल बा. नाम कुछऊओ होखे, काम बढ़िया रहल त नाम होईये जाई आ काम खराब हो गइल त सगरी बनलो नाम खराब हो जाए से बचावल ना जा सकी. अलग बाति बा कि कई बेर कुछ लोग के लागेला नेकनेम ना त बदनामे सही, नमवा त हो जाई. आ कई बेर कुकर्मियनो के नाम सगरी दुनिया जान जाले.
नाम के अउरो एगो खासियत होले कि नाम चलि जाव त ऊ संज्ञा से बदल के विशेषण हो जाले. टटका में केजरीवाल आ मोदी एकर सबले मजगर नमूना का रूप में देखल जा सकेला. एह लोगन के बड़का गुण-अवगुण के राखेवाला के एह विशेषणन से नवाजल जा सकेला. बाकि नाम के चरचा पर आगे बढ़ला से पहिले कुछ अउर नाम-चरचा क लीहल जाव.
कुछ नाम अइसन बदनाम हो जाली सँ कि फेर केहु ओह नाम के इस्तेमाल ना कइल चाहे. जइसे कि रावण, जयचन्द, विभीषण, दुर्योधन वगैरह. शकुनी, द्रोपदी, कुन्ती, नारद जइसन नाम एह चलते सुने के मिल जाला कि एह लोग में कुछ गुण सराहे जोग रहल भा मानल गइल कि एह लोग के अवगुण से बेसी दमदार कुछ गुण ओह अवगुणन पर परदा डाल दिहलसि.
अपना देश आ समाज में कुछ अइसनो नीति चलावे-बनावे वाला लोग रहल कि हमलावर आ आतंकी अत्याचारियन के नाम नवाजे जोग मान लीहल गइल. सिकन्दर, बाबर, अकबर, औरंगजेब, टीपू सुल्तान जइसन हमलावरन भा आतताइयन के महान बना दीहल गइल बाकि महाराणा प्रताप, राणा सांगा, कृष्णदेव राय जइसन लोगन के ओतना सम्मान ना दीहल गइल जतना के ऊ लोग हकदार रहल. जब विदेशी हमलावरन का सोझा देश के राजा हारत जात रहलें त विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय आखिरी राजा रहलन जवन एह मुगल हमलावरन के राह में सबले बड़ बाधा बनि के खड़ा रहि गइल रहुवे. देश में अकबर आ औरंगजेब का नाम प बहुते कुछ मिल जाई बाकि राजा कृष्णदेव राय का नाम प एगो गलियो ना मिली कवनो शहर में.
हद त ई रहल कि एह विदेशी हमलावरन के चरचा भइबो कइल त मुगल हमलावर कहि के, मुसलमान हमलावर कहि के ना. जबकि ई सगरी हमलावर कवनो कसर ना छोड़लें कि एह देश से हिन्दुवन के नामोनिशान मेटा दीहल जाव. ओहनी के लूटल गिरावल मन्दिरन प आजुवो मस्जिदन के मौजूदगी हिन्दुवन के रिगावे ला बचा के राखल गइल बा. अब एह माहौल में केहू अपना बेटा के नाम तैमूर राखो भा कैमूर एह पर विवाद ना उठा के ओह मानसिकता पर चिन्ता करे के चाहीं जवना चलते केहु अपना बचवन के नाम अइसनका लोग पर राखत बा.
एगो समुदाय के अपराधीओ मराव त बखेड़ा खड़ा क दीहल जाई बाकि दोसरा समुदाय के निर्दोषो प होखे वाला अत्याचारन के अनदेखी क दीहल जाई. मीडिया ओकरा के चरचा जोग ना माने. आ अगर कवनो चैनल एह अत्याचार के देखावे बतावे के जुर्रत क लेव त ओकरा के निशाना प ले लीहल जाई. अलग बाति बा कि एही दोगलपन का चलते उपजल आक्रोश आजु देश के राजनीति के धारा आ धार दुनू बदल दीहले बा. केजरीवालन के कारनामा बहुते क्रान्तिकारी मान लीहल जाले बाकि मोदियन के हर काम के चोईंटा-चोईंटा नोच के देखल जाला कि कहीं त कवनो खोट मिल जाव.
कुछ दुलरूआ बबुअन के केजरीवाल के – ढेला मार भाग चल – वाला रणनीति के नकल करे के कोशिश देखि के बुझाला कि काश ओकनी के केहु बता पाइत कि नकलो करे ला अकल के जरूरत होला. दोसरा तरफ अपना के सबले बड़का तीरंदाज माने वाला लोग गलतफहमी पाल लेला कि देश उनके भरोसे चलता. नेहरू जी मर गइलन, पटेलो जी मर गइलन आ अइसनका में उनुको तबियत खराब हो गइल त देश के का होखी. अब अइसन चिन्ता में डूबल लोगन के असलियत जनतो बूझे लागल बिया, एह लोग के बड़का चिन्ता आजु का दिने इहे होखल जाल बा.

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