प्रान बसे ससुररिया रे !

पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 4थी प्रस्तुति – ‍हीरालाल ‘हीरा’ अकसर एके संगे खइले सँगे मदरसा पढ़हू गइले एक्के अँगना खेलत-कूदत दिन-दिन बढ़ल उमिरिया रे। दू…

पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 3

सामयिकी आधी आबादी के बदलत चेहरा – ‍आस्था जिनिगी में, हार, असफलता आ पीछे छूटि गइल आम बात हऽ. सपना पूरा ना भइल त एकर मतलब ई ना हऽ कि…

पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 2

दखल नया बदलाव क इतिहास रचे वाला साल के विदाई ! – ‍प्रगत द्विवेदी नया साल के खुशमिजाज सलाम का साथे, बीतल बरिस के खटमिठ अनुभवन क इयाद आइल. नवका…

पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से -1

(हमार पन्ना) ‘भ्रष्टाचार’ पर राजनीति आ लोकतंत्र के ‘लोकपाल’ सर्वव्यापी राजनीति के पहुँच आ पइसार हर जगह बा त हमनी के जीवन क जरूरी हिस्सा बनल भ्रष्टाचार भला काहें अछूता…

भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका पाती के नयका अंक

पाती के नयका अंक बेहतरीन कागज पर बढ़िया सफाई का साथ प्रकाशित भइल बा. बाकिर कुछ तकनीकि गलती से एकर सूची वाला पन्ना के पीडीएफ पढ़ात नइखे. अह अंक में…

पाती के नयका अंक

भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती के नयका अंक रउरा लोग का सेवा में पेश बा. भोजपुरी साहित्य के पत्रिका “पाती” के भोजपुरी जगत में आपन एगो अलगे सम्मानजनक जगहा बा.…

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