सहलऽ काहें ? मरउव्वत में – बतंगड़ 67
– ओ. पी. सिंह आजु अगर हम मौनी बाबा के वन्दना कइला बिना आपन बतंगड़ शुरु क दीं त ऊ बहुत बड़ अपराध हो जाई. मौनी बाबा जबले कुरसी धइले…
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– ओ. पी. सिंह आजु अगर हम मौनी बाबा के वन्दना कइला बिना आपन बतंगड़ शुरु क दीं त ऊ बहुत बड़ अपराध हो जाई. मौनी बाबा जबले कुरसी धइले…
– ओ. पी. सिंह केन्द्र के केबिनेट त तिलाक का खिलाफ बने वाला तलाक के मंजूरी दे दिहलसि बाकिर ई कानून मुसलमाने प लागू होखे वाला बा. अपना के हिन्दू…
– ओ. पी. सिंह राजनीति में नीचतई के कवनो सीमा ना होखे. आ दिन प दिन ई अउरी नीचे गिरल जात बा. गुजरात के चुनाव कांग्रेस आ भाजपा का बीच…
– ओ. पी. सिंह देश कहवाँ सा कहवाँ आ गइल. चरखाना वाला गमछी आ जालीदार टोपी पहिरल अब आउट आफ फैशन हो गइल आ कुर्ता का उपर से जनेऊ पहिरे…
– ओ. पी. सिंह पिछला दिने मूडी कुछ लोग के मूड बिगाड़ दिहलसि. कहलसि का, से सभे अपना-अपना मूड से समुझल. मियाँ बूझले पियाज त मियाइन बूझली अदरख. जेकरा शास्त्र…
– ओ. पी. सिंह एगो पुरान कहाउत ह कि बाँझि का जनिहें परसवती के पीड़ा. आ हम सोचत बानी कि ई सवाल बाँझिने से काहें पूछल गइल. परसवतिओ के त…
– ओ. पी. सिंह पिछला लेकसभा में चुनाव हरला का बाद कांग्रेस के हालात अइसन बनि गइल बा कि ऊ चुनाव जीते के फार्मूला नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे खोजत चलत बिया. ओकरा…
– ओ. पी. सिंह अपना के जनम का गलती से हिन्दू बाकिर संस्कार से इस्लामी बतावे वाला चचवा के चाल लागत बा कामयाब हो गइल. हिन्दू बहुल हिन्दुस्तान के एही…
– ओ. पी. सिंह आजु एगो गीत बरबस याद आ गइल – तोहरा से राजी ना ए बलमुआ, तोहरा से राजी ना. हमके नीम्बुआ बिना तरसवले बलमुआ तोहरा से राजी…
– ओ. पी. सिंह संस्कृत भा संस्कृत से उपजल भाषावन में कवनो दोसरा शब्द का पहिले लाग के ओह बाद वाला शब्द के माने बदलत भा ओकरा के अउर पोढ़…
– ओ. पी. सिंह कुछ बात बा हिन्दुस्तान में कि नमकहराम एकरा खिलाफो रहेलें आ एहिजे ठाँवो खोजेलें. हिन्दुस्तान के बड़हन जमात रहला का बावजूद एहिजा हिन्दूवन के आवाज पसरे…