बाप के मरले कुँअर, महतारी के मरले टूअर : बाति के बतंगड़ – 12

– ओ. पी. सिंह

भोजपुरी कहाउत – बाप के मरले कुँअर, महतारी के मरले टूअर – कतना सही हवे अबकी एगो वंशवादी परिवार के लड़ाई में देखा गइल. समाजवाद के बात त लोहिया के आत्मा के भरमावे खातिर होला. साथही एह लड़ाई में नीमनो-नीमन स्तम्भकार लोग थाह ना लगा सकल. अबहीं ले त लोग एही पर एकमत नइखे कि एह परिवार में अइसन लड़ाई होखे के कारण का रहुवे आ एह लड़ाई में जीतल के. केहु एकरा के बाप बेटा के टक्कर बतावत बा त केहु – चाचा चोर भतीजा पाजी, चाचा का सिर पर जूता बाजी – वाला कहाउत का नजरिया स देखल चाहत बा. कुछ लोग कहत बा कि दलाल बुद्धि पा के अपना बेटा के बे-काँट-कूट वाला राजतिलक करा गइलन बूढ़ बाप आ अब चैन से वर्णाश्रम बीता सकीहें.
केहु कहत बा कि दोसरा से जनमल बेटा का बदले अपने बेटा के गद्दी नशीन करा दिहलन बुढ़ऊ. आ लगले हाथ अपना शातिर भाई के अतना खूबी से कगरियाइयो दिहलन कि भाई के प्रेमो बनल रहि गइल आ अपना बेटा के राह के काँटो कूस निकल गइल.
अब जवन कारण रहल होखे, जे जीतल भा जे हारल होखे, लोहिया के आत्मा त एक बार फेरी मर गइल अबकि. साधारण परिवार से आवे वाला, साइकिल से चले वाला मास्टर पता ना अइसन कवन काम कइलसि कि ओकर परिवार हजारो करोड़ के संपति में खेले लागल. शायद एही खेल का चलते जेल जाए के संकट आ घेरले रहल जब दलाल बुद्धि आपन सेटिंग क के जेल जाए से बचा लिहलसि बुढ़ऊ के. ई सेटिंग न्यायपालिका साथे भइल कि कार्यपालिका साथे, ई त ऊ दललवे बता पाई. बेटा मोह का बावजूद बुढ़ऊ के मित्र मोह सराहे जोग बा. ना त राजनीति के का कहाव, हर क्षेत्र में लोग सीढ़ी के इस्तेमाल कइला का बाद लोग ओकरा के लवना बना के इस्तेमाल क जालें कि फेर केहु ओह सीढ़ी से आसमान मत छू पावे.
संयुक्त परिवार त अब गिनले चुनल रहि गइल बाड़ी सँ. अधिकतर त अब एकले परिवार लउकेला. बाकिर जब संयुक्त परिवार आपन गन्दगी चौराहा पर झारल शुरू क देला त गन्दगी के ढेर लाग जाला. ई उनका चोरी आ हलकटई के खुलासा करीहें त ऊ इनकर. लंगटे सभे जाना हो जइहें बाकिर कहत रहीहें कि हमरा बारे में गलत बयानी भइल बा बाकिर उनुका बारे में सगरी कुछ साँचे हवे. एह लंगाझारी का चलते बहुते कुछ के चरचा खुलेआम होखे लागल बा. दू गो मेहरारु होखे के बात पहिले लुका छिपा के होखत रहुवे, बाकिर अब खुलेआम होखे लागल बा. खुद बेटे के एगो सिपहसालार मयभा महतारी के षडयन्त्र के आरोप लगा दिहलसि आ केहु एकर विरोध ना कइल. बाप के ई बात बहुते खराब लागल, ई ऊ खुद बतवलन बेटा के शिकायत करत.
राज परिवारन में चारित्रिक शुचिता के बात ना कइल जाव. ई त मध्यमवर्गीय परिवारन के चोंचला ह. उच्च वर्गीय आ निम्न वर्गीय परिवारन में एकर कवनो महत्व ना होखे. केहु केहु का साथे सूत सकेला. आ चूंकि एह राज परिवार के चरचा बाजार में आ गइल बा त ओही परिवार से एकर नमूनो देख लीहल जाव. पहिले त बहुते लोग का इहे मालूम ना रहुवे कि दू गो मेहरारू बा. फेर कहाए लागल कि दू गो बेटो बो. अब पता चलल बा कि दोसरकी वाला बेटा ओकरा पहिला मरद से ह. त बुढ़ऊ अपना बेटा के राजतिलक करा दिहलन त दुसरकी लाग गइल सौतेला बेटा के बनवास दिआवे ला जाल बुने में. तंग आके बेटा बाप से फरका रहल शुरू क दिहलसि. चचऊ के बुझाइल कि इहे मौका बा जब भईया के प्यार जगा के आपन गोटी सेट करा लीं बाकिर चाल उलटा पड़ि गइल. आ लड़िका सभ थपड़ी पीट पीट के कहतारें सँ – चाचा चोर भतीजा पाजी, चाचा का सिर पर जूता बाजी.

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