– ओ. पी. सिंह
हँ हँ, खिसियइला के जरूरत नइखे. ई एगो खास रणनीति का तहत लिखाइल बा.
एह घरी सभे कवनो ना कवनो रणनीति बना के बइठल बा. सर्जिकल स्ट्राइक का बाद कहल गइल कि भारत आपन रणनीतिक संयम छोड़ दिहलसि आ अब अबूझ के रणनीति अपना लिहले बा. अबूझ रणनीति ऊ जवना का बारे में पडोसी अंदाज ना लगा सके कि कतना ढेला मरला का बाद ओकर कुटाई हो जाई. हो सकेला कि पहिलके ढेला पर लट्ठ लेके हम निकल जाईं आ इहो हो सकेला कि ऊ ढेला फेंकत परेशान हो जाव आ हमरा खीसे ना बरे.
खीस खातिर भोजपुरी में बरे के इस्तेमाल अइसहीं ना हो जाव. खीस चूंकि आग का तरह होखेला आ लहोक मारेला, त खीस बरे आ खीस बारे के बाति होखे लागल. बाकिर जइसे अंगरेजी में बी यू टी बट त पी यू टी पुट काहे हो जाला आजु ले हमरा ना बुझा सकल वइसहीं बारे आ बरावे का बारे में कहल जा सकेला. तू करऽ त बराव, हम ना करीं त बराईं. भा तुहूँ बराव, हमहूं बराई. दुनु आदमी बरावे त शान्ति बनल रही. बाकिर कहीं जे तू बरावल छोड़ बरा दीहलऽ आ हम बर गइनी त भाँड़ में झोंकतो देर ना लागी हमरा. आ जान जाईं कि नींद में बड़बड़ाइलो ला बरइला के इस्तेमाल होखेला.
आजु त हम रउरा सभे के दिमाग के घिरनई त बनाइये दिहले बानी. आ बतंगड़ के बतकुच्चन बना दिहले बानी. अब तनिका लवटल जाव फेरी आज के मथैला पर.
ई त हमार रणनीतिक छिछोरपन ह जेहसे अधिका से अधिका लोग हमार लिखलका पढ़े ला आगे बढ़ो. उर्दू में नुक्ता के हेरफेर से खुदा जुदा हो जालें, पकड़ऽ मत जाये द कहला के परिणाम एह पर होला कि अर्ध विराम कहाँ लागल बा. पकड़ऽ मत, जाये द. आ कि – पकड़ऽ, मत जाये द. वइसहीं पढ़ेला आ पढ़े ला में फरक होला. पढ़ेला – पढ़ता है आ पढ़े ला – पढ़ने के लिये.
अब सोचीं कि अगर भवे से भाव आ पतोहिया से चाव ना रहीत त एहिजा ले पढ़त अइतीं का ? अब रउरा छाव करे लागीं त बात दोसर बा. कवनो लेख भा पाठ का ओर धेयान खींचे ला मथैला जानदार होखे के चाहीं. नवहियन का बीच ई बहुते लोकप्रिय होला कि अइसन ड्रेस पहिरल जाव जवन सामनेवाला के अपना ओर खींच लेव. आ नवहिये काहे, नेता से लेके मीडिया ले, खबर से लगायत विज्ञापन ले एह तरीका के भरपूर इस्तेमाल होखेला. मौत के सौदागर से लेके 56 इंच के सीना ले, खून के दलाली से लेके चाय पर चरचा ले एही रणनीति के इस्तेमाल कइल जा रहल बा.
आजुकाल्ह फैशन हो गइल बा कि बेमतलब कवनो मुद्दा पर मोदी के नाम ले ल, खबर में आ जइबऽ. हमार भैंसिया पाड़ा काहे बियाइल, मोदी जवाब द. भर यूपी घूम लिहला का बादो चरचा में ना अइलऽ त खून के दलाली वाला डायलाग मार द, चरचा में त आइये जइबऽ. मोदी के हीक भर गरियावे वाला लोग मोदी के असहिष्णु कहेला. अब अगर केहू माई के दूध पीयले होखे त एक बेर दीदीया भा बहिन जी का बारे में कुछ बोल के देखा देव. बे-माया-ममता के अइसन जवाब मिली कि सगरी असहिष्णुता कमोड में बह जाई आ ऊ आदमी बाद में अइसन सहाउर बन जाई कि फेर कब्बो दरद न करी ओकरा, भर लग्गी चलि जाई तब्बो.
हमरा एह लेख पर कुछ लोग कह सकेला, आ सकेला का, हमेशा कहत रहेला कि भोजपुरी के अश्लीलता से बचवला के जरुरत बा. बाकिर हम त शान से कहीलें कि भोजपुरी अश्लील भाषा ह, एकरा के अश्लीले रहे दीं सभे. हमरा रिमोट से लहँगा उठवला से रउरा नाराजगी बा त जाईं पहुले पता लगा के आईं कि चोली के पीछे आ चुनरी का नीचे का बा. रहल बात भवे भाव से आ पतोह चाव से वाला कहाउत के त बतावल जरुरी बा कि ई हमरा जनम से पहिले के कहाउत ह, हमार बनावल ना ह. एहसे पुरनिया लोग खिसियाव जन, कहउतवे का तरह नवहियो रउरे सभे के जनमावल बा. जवन बोआइल बा, तवने नू कटाई!