बिना ओरिचन के खटिया
विष्णुदेव तिवारी फूआ, माने गिरिजा फूआ-पुरुषोत्तम के बाबूजी के छोटकी बहिन- बाति ए तरी पागेली जे शब्द केनियो ले भरके ना पावसु लोग। अनचक्के में केहू के खींचि ले जइहें…
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विष्णुदेव तिवारी फूआ, माने गिरिजा फूआ-पुरुषोत्तम के बाबूजी के छोटकी बहिन- बाति ए तरी पागेली जे शब्द केनियो ले भरके ना पावसु लोग। अनचक्के में केहू के खींचि ले जइहें…
अशोक द्विवेदी चितकबरा पहाड़ का अरियाँ अरियाँ जवन ऊँच-खाल डहरि ओने गइल रहे, ओकरा दूनो ओर छोट-बड़ गई किसिम के बनइला फेंड़ रहलन स. कुछ हरियर पतई से झपसल आ…
रामेश्वर सिंह काश्यप ताल के पानी में गोड़ लटका के कुंती ढेर देर से बइठल रहे। गोड़ के अंगुरिन में पानी के लहर रेसम के डोरा लेखा अझुरा जात रहे…
विजय मिश्र ओह दिन बाँसडीह जाए के रहल। मोटर साइकिल निकाल के स्टार्ट कइनी त पेट्रोल कम बुझाइल। कुछे दूरी पर पेट्रोल टंकी रहे, उहाँ पहुँचते सामने से एगो लइका…
– डा० अमरेन्द्र मिश्र शेखर के गांजा के इ पहिलका दम रहे। अवरू सब साथी गांजा के दम पचावे आ जोम से मुँह आ नाक से धुँआ निकाले में माहिर…
(भोजपुरी कहानी) – सुधीर श्रीवास्तव ‘नीरज’ राति अबहिन दुइयो घरी नाहीं बीतल होई बाकिर बरखा आ अन्हरिया क मारे अधराति के लखां सन्नाटा पसरि गइल रहे चारू ओर. अषाढ के…
– देवेन्द्र कुमार सउंसे घर में कोहराम मच गइल. सुमना के बाबा के मिजाज राति खानि एकाएक खराब हो गइल. सभे लोगन के चेहरा प हवाई उड़त रहे. अब का…
– नीमन सिंह जब से हम होस सम्हरनी हमरा मन में इ उमंग उठल करे कि हम एह गाँवही में रहब आ एकरा बिकास खातिर कुछ करब. समय बीतत…
– रामरक्षा मिश्र विमल भिनसहरा, करीब तीन बजे. साफ-साफ मुँह अभी नइखे चिन्हात केहूँ के अँजोरो. चन्दा आपन लुग्गा-फाटा बन्हली मोटरी अस आ कान्ही प धइके निकलि गइली पिछुवारी मिहें.…