कादम्बिनी सिंह के गजल

– कादम्बिनी सिंह

देखऽ तानी कि कबले बिहान होई
ऊ अन्हरिया में कतना हरान होई।

आँखि आपन उ, होई टिकवले उहाँ
सोना-रूपा क जहवाँ खदान होई ।

बाँटि देतऽ त तुहऊँ हलुक होखितऽ
तहार बोझवो इ,तोहरे समान होई ।

दम्भ जहिए लोटा जाई भुइयाँ तोहार
तबे जिनिगी के असली उठान होई ।

जब जइहऽ, सचेते उहाँ जइहऽ
जहाँ खेतवन में लउकत मचान होई।

का भुला पाई , भलहीं उ दूरे बिया —
ओकर गँउवें में अँटकल परान होई।।

– मोती नगर, परिखरा, बलिया (उत्तर प्रदेश 277001)

(पाती के दिसम्बर 2022 अंक से साभार)

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