– कादम्बिनी सिंह
देखऽ तानी कि कबले बिहान होई
ऊ अन्हरिया में कतना हरान होई।
आँखि आपन उ, होई टिकवले उहाँ
सोना-रूपा क जहवाँ खदान होई ।
बाँटि देतऽ त तुहऊँ हलुक होखितऽ
तहार बोझवो इ,तोहरे समान होई ।
दम्भ जहिए लोटा जाई भुइयाँ तोहार
तबे जिनिगी के असली उठान होई ।
जब जइहऽ, सचेते उहाँ जइहऽ
जहाँ खेतवन में लउकत मचान होई।
का भुला पाई , भलहीं उ दूरे बिया —
ओकर गँउवें में अँटकल परान होई।।
– मोती नगर, परिखरा, बलिया (उत्तर प्रदेश 277001)
(पाती के दिसम्बर 2022 अंक से साभार)