भोजपुरी भाषा के संवैधानिक मान्यता ला दिल्ली का जंतर मंतर पर धरना

बोले वालन के जनसंख्या का आधार पर दुनिया के एगो बड़हन भाषा भोजपुरी के भारत में संवैधानिक मान्यता दिआवे के मांग लेके आजु 6 अगस्त 2023 का दिने भोजपुरी जन…

राड़ आ राँड़ के गठबन्हन – बतकुच्चन (207)

देश के राजनीति समुझे बाला एहघरी परेशान बाड़ें. उनुका बुझात नइखे कि हो का रहल बा. एही अझूराहट में हमहूं बानी. कि राड़ आ राँड़ के गठबन्हन कइसे भइल आ…

अबहीं ले ना बिहान भइल का गजल कहीं

- शैलेन्द्र पाण्डेय शैल (एक) संउसे उमिर जियान भइल का गजल कहीं जियले बिपति के खान भइल का गजल कहीं। चाहत पियार इश्क के चक्कर बुरा चलल चोटहिल बड़ा परान…

बढ़िया गीत गवनई फिलिमो से अधिका अइसहीं देखे सुने के मिली

आजु यू ट्यूब पर घूमत अपना एगो पुरान दोस्त पंकज प्रवीण के गावल गाना मिल गइल. सुन के जिया के जवन खुशी मिलल कि सोचनी काहें ना रउरो सभ से…

सीख भरल कविता

- अशोक कुमार तिवारी (एक) बैर बेलि जे उपजल भाई-भाई में, जइहैं दूनो जने जरुरे खाई में । नीक-जबून कहे से पहिले सोच लिहीं, जनि बोलीं कुछऊ कबहूँ अकुताई में।…

गजल – हीरालाल ‘हीरा’

- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…

शशी प्रेमदेव के दुगो गजल

-शशी प्रेमदेव (एक) खूब गतरे-गतर फरी केहू ठूँठ-जस देखि के जरी केहू रो रहल बा सिवान में कुक्कुर फेरु टूटी कहर... मरी केहू का बिरिध का सयान का लरिका फारि…

सुनऽ धरीछन अक्षय पाण्डेय के पाँचगो गीत

- अक्षय पाण्डेय (एक) सुनऽ धरीछन ! जिनिगी में बहुते जवाल बा छन भर हँसी-प्यार संग जी ले। पानी के जी भर उछाल के मुट्ठी में रेती सम्हाल के गुनऽ…

दयाशंकर तिवारी के पाँच गो कविता

- दयाशंकर तिवारी (एक) नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ पीरा पसरे लगलि पोर पोर गोइयाँ। देहिये भइल आपन अपने के भारी निरदइया अबहीं…

भोजपुरिया समाज के बदलत तेवर

- भगवती प्रसाद द्विवेदी भोजपुरिया समाज शुरुए से कबो ना थाके वाली मेहनत, जीवटता, संघर्षशीलता आ अपना दम-खम आउर बल-बेंवत का बदउलत मन माफिक मुकाम हासिल करे खातिर जानल जाला।…