लोक कवि अब गाते नहीं – २०

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) अनइसवाँ कड़ी में वकील साहब का फेर मे फँसल ठकुराइन आ धारा ६०४ वाला किस्सा पढ़ले रहीं. अब ओकरा…

अस्तित्व संकट से जूझत भोजपुरी बियाह गीत के परंपरा

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल एहमें कवनो संदेह नइखे कि लोकसाहित्य में लोकगीत के जगह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बाटे. जनजीवन में एकरा व्यापक प्रचार के स्वीकार करत राधावल्लभ शर्मा जी…

अबलौं नसानी अब ना नसइहों

आजु एगो खबर पढ़े के मिलल कि बिहार भोजपुरी अकादमी मालिनी अवस्थी के आपन ब्रांड अम्बेसडर बनवले बिया आ अब मालिनी जी देश विदेश में भोजपुरी के प्रचार प्रसार करीहें.…

महाभोजपुर के माँग फेर दोहरवले बा प्रगतिशील भोजपुरी समाज

अलग भोजपुर राज्य बनवावे आ भोजपुरी भाषा के संविधना के 8 वीं अनुसूची मे शामिल करावे ला प्रगतिशील भोजपुरी समाज का ओर से सगरी जिला मुख्यालयन पर क्रमवार धरना आ…

भोजपुरी अकादमी खोले के माँग

बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केन्द्र के संस्थापक समन्वयक प्रोफेसर सदानंद शाही प्रदेश के मुख्यमंत्री के चिट्ठी भेज माँग कइले बाड़न कि बिहार, दिल्ली, आ मध्यप्रदेश का तरह अब…

मानसून सत्र का पहिलके दिने भोजपुरी के चरचा

आजु संसद में सांसदी के किरिया लेबे खातिर खड़ा भइल बिहार के महाराजगंज से जीतल राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी के सवाल उठा दिहलन. किरिया खाए खातिर मिलल पत्रक देखावत…

भुखाइल पेट के सांच

– जयंती पांडेय छपरा में दुपहरिया के भोजन क के 23 गो लईका मर गइले सन एह बात से दुखी बाबा लस्टमानंद नेताजी से पूछले कि, हे सरकार, अइसन काहे…

एक दिन बेटी खातिर तीरथ-व्रत करी लोग

– जयंती पांडेय बाबा लस्टमानंद के घर के सामने तिवारी जी के घर बा. बाबाजी गाय भैंस पोसले बाड़े आ पोता होला के आस में दूध बेच दे तारे, पोती…

लोक कवि अब गाते नहीं – १९

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) अठरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़नी कि कइसे मीनू अपना भतार से झगड़ा क के लोक कवि के लगे रखैल…

पटना के रविन्द्र भवन में बिहार भोजपुरी अकादमी के पैंतीसवा सालगिरह

अतवार का दिने पटना के रविन्द्र भवन में बिहार भोजपुरी अकादमी के पैंतीसवा सालगिरह बहुते धूमधाम से मनावल गइल. एह मौका पर भइल सांस्कृतिक कार्यक्रम में मालिनी अवस्थी, भरत शर्मा…

सावधान, कुकुरन में आदमी के गुण आवऽता

– जयंती पांडेय लस्टमानंद से उनकर एगो संहतिया गोपाल जी भेंटइले. लगले कहे, भाई हो, पहिले घर के दरवाजा पर लिखल रहत रहे ‘अतिथि देवो भव:’ लेकिन आज काल्हु घर…

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