भोलानाथ गहमरी जी के लिखल एगो निर्गुन
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई, आहि रे बालम चिरई. बन बन ढुंढली, दर दर ढुंढलीं, ढुंढलीं नदी का तीरे, साँझ के ढुंढली, राति के ढुंढली, ढुंढली होत…
First Bhojpuri Website & Resource for Bhojpuri Scholars
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई, आहि रे बालम चिरई. बन बन ढुंढली, दर दर ढुंढलीं, ढुंढलीं नदी का तीरे, साँझ के ढुंढली, राति के ढुंढली, ढुंढली होत…