काग्रेसी नेता अभिषेक मनु सिंघवी मशहुर वकील हउवें त स्वाभाविक बा कि उनुकर अधिका समय अदालत में गुजरे. पापी पेट खातिर त सबहीं कुछ ना कुछ करत रहेला भा कइला के कोशिश करेला. वकीलो लोग वइसने करेला. अब डाक्टर त बेमारे आदमी से आपन कमाई करेला आ केहू एकरा ला डॉक्टरन के शिकायत ना करेला. बाकिर सिंघवी के आलोचना करत घरी लोग के शिकायत होला कि सगरी कुकर्मी उनुके शरण में जालें. उनुकरे मेहरबानी बा कि अदालत रोजे कवनो ना कवनो केजरी-कथा में अझुराइल रहेला. गरमी का छूट्टियो में राहत नइखे मिलत जजन के. सिंघवी के दबदबा कुछ अइसन हो गइल बा कि सिब्बलो के कहे के पड़ जात बा कि चेहरा देख के फैसला नौ होखे के चाही. ऊ सोचले रहलन कि जइसे सिंघवी के मुवक्किल के जमानत मिल गइल वइसहीं हेमन्तो के मिल जाए के चाहत रहल. सिब्बल जइसन वकीलो समुझ ना पवलन केजरी हेमन्त के फरक. हेमन्त का लगे लाज हया रहल आ जेल जाए से पहिले हेमन्त इस्तीफा दे दिहले रहलन. जबकि लाज हया से भवह-भसुर के नाता निबाहे वाला केजरी ऊ गलती ना कइलसि. एहसे कहाँ राजा भोज कहां गंगू तेली ! कुरसी से चिपकल केजरी आ हेमन्त के एके कइसे मानल जा सकेला. दोसरे सिंघवी सिंघवी हउवन, सिब्बल सिब्बल.
हँ त लवटल जाय मथैला पर. चुनाव प्रचार के काम से फुरसत मिलला का बाद पीएम मोदी कन्याकुमारी के विवेकानन्द शिला स्मारक के साधना कक्ष में साधना करे चल जइहें. ऊ राहुल का तरह बैंकाक त जइहें ना. आ कुछ लोग के बोललको सुनाई ना देव आ कुछ लोग के चुपियो अतना शोर करेला कि कान फाटे लागेला. से सिंघवी चुनाव आयोग से ओरहन कइले बाड़न कि मोदी के साधना पर खतम होखला तक रोक लगावल जाय ना त मीडिया पर रोक लगा दीहल जाव कि मोदी के मौन के आवाज जन सुनावे. हर जगहा आआपा के सरकार त बा ना कि मीडिया के सेंसर कर सके इंडी गठबन्हन.
जबरा मारबो करे आ रोवहूं ना देव वाला हो गइल बाड़न मोदी.