– पाण्डेय हरिराम
बियफे का भोरे सन्मार्ग कार्यालय में एगो बुजुर्ग आचार्य के फोन आइल. ऊ बुध का दिने दिल्ली में राजग के महारैली का बारे में आपन राय बतावत रहलें. ओह रैली में आडवाणी जी (जी हँ, उहे लालकृष्ण आडवाणी) पी एम से कहलें कि जे पी सी के गठन करीं ना त इस्तीफा दे दीं. बाकिर आचार्य प्रवर आडवाणी जी के चर्चा ना कइलें. ऊ खास करके सुषमा स्वराज जी के भाषण के बात करत रहलें आ बहुते निराश बुझात रहलें.
बेशक बड़ जिगरवालन के काम ह पॉलिटिशियंस के सुनल. सुषमा जी ओह रैली में जवने कहली ओकरा के पूरा देश सुनलसि. ऊ भ्रष्टाचार पर बोलत रहली आ बहुते प्रभावी तरीका से ऊ कहली कि लोकतंत्र के चारों स्तम्भ – सरकार, संसद, प्रेस, अउर जज – कॉरपोरेट वर्ल्र्ड का सोझा बिका गइलें. ऊ दरअसल नीरा राडिया टेप कांड कर जिक्र करत रहली.
सुने वालन के करेजा मुँह तक आ गइल कि अब ऊ कुछ अउरी बोलीहें. काहे कि जेबिकाइल ओकर नाम त सभे ले रहल बा, कुछ के त इस्तीफो ले लिहल गइल बा, कुछ लजाईल आपन मुँह छुपावत घूमत फिरत बाड़ैं, बाकिर जे खरीदल ओकनी का बारे में सभे चुप बा. लोकतंत्र के चारो खंभन में पइसा के दियाका लगावे वाला एह उद्योगपतियन का बारे में शायद सुषमा जी कुछ कहीहन, ओह लोग के भरल सभा में नंगा करीहें. बाकिर सभके निराश होखे के पड़ल.
सुषमा जी अपना भाषण में कवनो धन्नासेठ के नाम ना लिहली. भ्रष्टाचार का खिलाफ “तलवार” लेके संग्राम में निकलल एह शूरवीरन में से केहू का लगे अतना हिम्मत बा रहुवे कि ऊ लोकतंत्र के चारों खंभन के खरीदे के जुर्रत करे वाला कवनो इंडस्ट्रियलिस्ट के नाम ले लेसु.
2 जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व मंत्री ए राजा फंसल बाड़न. सीएजी का रिपोर्ट का मुताबिक ऊ देश के 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान करवलें. भाजपा के राष्ट्रीय प्रमुख नितिन गडकरी अक्सर एह रकम के बड़ा जोश आ नाराजगी का साथ जिक्र करेलें. बाकिर अगर देश के 1 लाख 76 हजार करोड़ के नुकसान भइल त केहू त होई जेकरा एह 1 लाख 76 हजार करोड़ के फायदा भइल होखी ? के ह ऊ लोग ? एही टेलीकॉम कंपनियन के मालिक. त एह लोग के नाम लेबे में अतना लाज काहे लागत बा रउरा ?
सुषमा जी से दू गो सवाल बा, पहिला ई कि जगमोहन जब संचार मंत्री रहलें त उनुका के काहे हटावल गइल रहे ? अतना किरपा करब का कि बता देम कि उनुका के हटवावे वाला कवन लोग रहे ? दोसरका सवाल बा कि नीरा राडिया टेप कांड में एगो रंजनो भट्टाचार्य के आवाज बा. बता सकब कि ऊ के ह ?
सुषमा जी नाम ना ले सकीहें, काहे कि जवना थैलीशाहन के नाम उछली उहे त सगरी राजनेतवन के अन्नदाता हउवें. अपना थरिया में केहू छेद करेला भला ? अगर राम जी का दया से भा महंगाई डायन का मदद से सत्ता में आइयो गइनी त बाद में खिआई के ? आचार्य श्री बहुते निराशा से फोन पर कहलें.. सब एक ही बिरादरी के हउवें सँ.
सचमुच भगवा होखे भा खादी. कवनो में कवनो अन्तर नइखे. दुनु के मकसद पहिले जनता के वोट के बल पर सत्ता हथियावल आ फेर ओह सत्ता का बल पर ओही पूंजीपतियन से पइसा कमाइल बा.
पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ ई लेख उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखले बानी. अँजोरिया के नीति हमेशा से रहल बा कि दोसरा भाषा में लिखल सामग्री के भोजपुरी अनुवाद समय समय पर पाठकन के परोसल जाव आ ओहि नीति का तहत इहो लेख दिहल जा रहल बा.अनुवाद के अशुद्धि खातिर अँजोरिये जिम्मेवार होखी.