राजनाथ सिंह के माफी मंगला का पीछे का राज बा


पिछला दिने संसद में भइल एगो झका-झूमरी में मीडिया में चर्चा बा कि भाजपा के एगो सांसद रमेश बिधूड़ी बसपा सांसद दानिश अली के एक मिनट में एगारह बेर गरिया दिहलें. बाद में ओकरा के संसद का कार्यवाही का रिकार्ड में से निकाल दीहल गइल.

बिधूड़ी के बयान का बाद हंगामा होखही के रहल आ जम के भइबो कइल. जब ले बाकी लोग सोचते रहल तबले भारत सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तपाक से उठलन आ रमेश बिधूड़ी के बयान खातिर माफी मांग लिहलन.

अब सोशल मीडिया पर चरचा बा कि जब पीएम के नीच कहे वाला माफी ना मांगे, सनातन के उन्मूलन के बात कहे वाला माफी ना मांगे, रामचरितमानस का बारे में उल्टा-सुल्टा कहे वाला माफी ना मांगे, त राजनथ सिंह के कवन कीड़ा कटले रहल कि ऊ तपाक से माफी मांग लिहलन ? आ खाली उहे ना, कुछ अउरियो भाजपाई बिधूड़ी के बयान के आलोचना करे लगलें. असल में हिन्दूवादी कहाए वाला भाजपो में बहुते लोग के सिकूलर (गलती से सिकूलर नइखीं लिखले) कीड़ा काटत रहेला. गुड़ खायब बाकिर गुलगुला से परहेज करे का एही बीमारी का चलते लालकृष्ण आडवाणी के राजनीति से सन्यास हो गइल. तबो अगर कवनो भाजपाई एही तरह के गलती करत बा त ओकरा पीछे जरुर कवनो ना कवनो कारण होखे के चाहीं.

पता ना अइसनका लोग काहें ना देखसु-बूझसु कि जब कवनो हिन्दूद्रोही हिन्दुत्व भा हिन्दू का खिलाफ जहर उगिलेला त ओहनी के पूरा गिरोह बचाव करे, बात घुमावे के कवर फायर करे लागेला. सर तन से जुदा करे का नारा आ सर तन से जुदा कर देबे का वाकया का बादो कबो देखले बानी हिन्दूद्रोहियन के सफाई देत भा माफी मांगत ?

वइसे हमरा इहो पूरा पता नइखे कि कहीं ई सब कुछ भाजपा के कवनो योजना का मुताबिक त नइखे भइल. हमरा जहाँ ले मालूम बा संघ परिवार में कनियवो के भाई, दुलहवो के भाई वाला रणनीति काम करत रहेला. पुरनका जमाना में बाजपेयी, आडवाणी, जोशी के तिकड़ी एही योजना का हिसाब से रहुवे.

अगर जोड़-तोड़ वाला हालात बने त बाजपेयी, साफ बहुमत मिल जाव त आडवाणी, आ दू तिहाई बहुमत मिल जाव त जोशी. संघ के आनुसंगिक संगठनन में एक पक्ष आरक्षण का तरफ त दुसरका पक्ष ओकरा विरोध में खड़ा करिके राखल जाला. राम मंदिर के लड़ाई लड़ेवाला राम का राहे कम कृष्ण का राहे अधिका चलेलें. उनुका ला लक्ष्य प्राप्ति अधिका जरुरी होला, राह तनी टेढ़ो-बाकुर होखो त कवनो हरज ना.

अब एही धारा पर चलत हो सकेला कि वैकल्पिक तईयारी रखात होखो, ना त गडकरी-राजनाथन के कहिए किनारे लगा दीहल गइल रहीत. शायद एही चलते चारखाना के गमछी आ जालीदार टोपी पहिर के इफ्तार के भोज चाव से खाए वाला राजनाथ के सिकूलर बनर रहे के निर्देश मिलल होखो. वइसे कुँवर दानिश अली के पुरखा कुँवर रहलें आ राजनाथो सिंह कुँवरे खानदान के हउवन ई कारण त नाहिये होखी एकरा पाछे. मुगल काल में राजपूत राजा राजनीतिक कारण से ओहनी से रोटी-बेटी के संबंधो राखे से गुरेज ना करत रहलें. हो सकेला कि राजनाथो सिंह सोचत होखसु कि अगर कुरसी मिले के उमेद रहे त टोपी पहिरलो में कवनो हरजा नइखे.

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