रोहिंग्या रोहेंगा – बतंगड़ 54

– ओ. पी. सिंह

कुछ बात बा हिन्दुस्तान में कि नमकहराम एकरा खिलाफो रहेलें आ एहिजे ठाँवो खोजेलें. हिन्दुस्तान के बड़हन जमात रहला का बावजूद एहिजा हिन्दूवन के आवाज पसरे ना दीहल जाव. मीडिया आपन पूरा जोर लगा देले कि हिन्दूवन का खिलाफ होखत अन्याय के खबर मीडिया में जनि आ पावे आ छोट से छोटो खबर जवना के इस्तेमाल हिन्दूवन का खिलाफ कइल जा सके ओकरा के जम के उछालल जाव. पिछला सरकार का बेरा त एह तरह के मीडिया अतना ताकतवर रहल कि केहू कुछ बोल ना पावत रहुवे. धन्य हो सोशल मीडिया के आगम, जवना का बाद ओह एकतरफा हिन्दूविरोधी मीडिया के झूठ के पर्दाफाश होखे लागल. आजादी का बाद नेतवन के जमात एही उपाय में लागल रहत रहुवे कि कवना तरह से हिन्दूवन के बाँट के राखल जाव. कबो जाति का नाम प त कबो भाषा का नाम पर. बाकिर हर अति के कबो ना कबो अंत जरुर होला आ एह हिन्दू विरोधो के अंतो अब लउके लागल. उमेद कइल जाव कि देर सबेर हिन्दू विरोध के कवनो आश्रय ना मिल पाई हिन्दूस्तान में. आ अगर अइसन ना भइल त आगा के बतियावल जाय.

रोहिंग्या मुसलमानन में आपन माई-बहिन देखे-खोजे वाला लोग तहिया केने लुकाइल रहल जब कश्मीरी हिन्दूवन के बहिन-बेटियन के सरेआम अस्मत लूटल गइल आ कत्लेआम मचा के कश्मीर घाटी से बेदखल क दीहल गइल. आजु ले ई लोग अपने देश में रिफ्यूजी बन के रहत बा आ ओह लोग के फिकिर करे वाला, ओह लोग के आवाज उठावेवालन में कवनो सेकुलर, कवनो लिबरल, कवनो आजात खयाल के पक्षधर ना लउकसि. जब एह लोग के कश्मीर में फेर से बसावे के योजना बनावल जात बा त कहात बा कि एहसे ओह इलाका के आबादी के बैलेंस बिगड़ जाई. बैलेंस त तहिया बिगड़ल जहिया कश्मीर घाटी में हिन्दूवन का खिलाफ अत्याचार के अति क दीहल गइल आ ओह लोग के मजबूर क दीहल गइल आपन घर संपति सबकुछ छोड़छाड़ के भाग पराये के. सोचे वाली बात त इहो बा कि अतना अत्याचार सहला का बावजूद ई लोग कवनो आतंकी गुट, कवनो फिदायीन बनावे के काहे ना सोचल. शायद एही चलते मोहनोदास कहले रहलें कि हिन्दू कायर कौम ह आ एकरा अपना अत्याचारियन का सोझा सरेंडर क देबे के चाहीं, विरोध करे के सोचबो मत करे ई लोग. मजहबी आधार पर देश बँटइला का बावजूद एगो सोचल समुझल रणनीति का तहत हिन्दूस्तान के सेकुलर देश बना दीहल गइल आ एकरा के हमेशा ला मजबूर बना दीहल गइल.

सोचे के बाति त इहो बा कि कइसे हजारन रोहिंग्या पूरा देश लाँघत जम्मू ले पँहुचा दीहल गइलें आ ओहिजा के हिन्दूवन का छाती प मूंग दरे ला ओहिजे बसा दीहल गइलें. जबकि एह लोग के कश्मीर के मुस्लिम बहुल इलाकन में बसल अधिका सहज रहीत. आ अब जब एह रोंहिग्यन के हटावे के बात कहल जात बा त खुलेआम चुनौती दीहल जा रहल बा कि रोहंग्या रोंहेगा ! केहू एहनी का हटावे का बारे में सोचे के हिमाकत मत करो ना त हिन्दुस्तान के ईंट से ईंट बजा दीहल जाई. आ एहनी के धमकी के महिटायवलो आसान नइखे काहें कि आजु ले त इहे देखत आइल बानी सँ. आ सोचे वाली बात इहो बा कि ई लोग कवनो मुस्लिम देश में पनाह काहे ना खोजे जबकि ओहिजा सभकुछ बा – धन, जमीन, आ मजहबी माहौल तीनो.

त मान लीहल जाव कि रोहिंग्या रोहेंगा आ आखिरकार हमनिए के कवनो दोसर ठाँव खोजे के जरुरत पड़े वाला बा. बाकिर हमनी का कहाँ जाएब सँ ? पूरा दुनिया में खोजले कवनो हिन्दू देश नइखे मिले वाला. एगो नेपाल रहबो कइल त बँवारा गिरोह का फेर में ओकरो के सेकुलर बना दीहल गइल. त अधिका आसान रही कि मजहब बदल लीहल जाव. देश में मजहब बदलले लोगन के बहुतायतो बा. दीदीयो के दिक्कत ना होखी तब. सोचीं, काहे कि समय तेजी से घटत जा रहल बा.

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