देश के दिवालिया करे खातिर होखत साजिश


देश के सबले बड़ विरोधी गोल कांग्रेस पूरा भरोसा में बिया कि सरकार त ओकर बने नइखे जात त काहे ना आसमान से सितार तूड़ लिआवे भा आलू का बदले सोना देबे के एलान क दीहल जाव. हिमाचल आ कर्नाटक में कइल वादा के हालात देखले जात बा.

एह बात के तुलना हर आदमी के पन्द्रह लाख रुपिया देबे के, दू करोड़ नौकरी हर साल देबे के, हर परिवार के घर, हर घर में नल से जल. गैस सिलिण्डर मुफ्त देबे से ले के अस्सी करोड़ लोग के फोकट में अनाज देबे के एलानो से कइल जा सकेला. कुछ एलान एकदम खास होखेली सँ आ कुछ बना लीहल जाला. एकर सबले नायाब नमूना हर आदमी के पन्द्रह लाख रुपिया मिले से आ आलू से सोना बनावे वाली मशीन से कइल जा सकेला. कहे वाला कहलसि ना बाकिर कहानी गढ़े वाला अतना बढ़िया से गढ़ दिहलें कि आम आदमी, आ.आ.पा. वाला खास आदमियन के हम आम आदमी में ना गिनीं, एकरा के साँच मान लिहलसि.

बाकिर आजु हम जवना के बात करे जात बानीं ओकर दस्तावेज सामने बा. गौरव प्रधान के ट्वीट से एकर महत्व जानल जा सकेला –

हमहूं सोचनी कि काहे ना कांग्रेस के घोषणा पत्र पढ़िये लीहल जाव. सगरी वादा पढ़ला का बाद सोचे लगनी कि ई वादा सभ पूरा कइसे होखिहें सँ ? वनेजुएला का तरह से ? श्रीलंका का तरह से ? भा कवनो दोसरा तरीका से.

हर शिक्षित युवा के एक लाख रुपिया सालाना के पहिला नौकरी देबे के वादा काग्रेस के गारंटी कार्ड में सभले पहिले बा. सोचे के बात बा कि अतना नौकरी आई कहाँ से आ अतना रुपिया देबे खातिर कहाँ से आई. एकरो कुछ योजना बतावे देखावे के जरुरत रहुवे. इंदिरा गाँधी के जमाना का तरह 90 फीसदी से अधिका के इंकमटैक्स लगा के ? भा जतना मन करे ओतना नोट छाप लेबे के ?

स्वामीनाथन रिपोर्ट काग्रेसे का राज का दौरान आइल रहल. तब काहे ना दीहल गइल ? आसान आ सही जवाब बा कि तब उनुकर सरकार रहुवे आ ऊ जानत रहलें कि ई संभव ना हो पाई. बाकिर अब ऊ चिंता नइखे !

हर गरीब परिवार के महिला के हर साल एक लाख रुपिया दान दीहल जाई. मतलब कि काम करे खातिर मजदूरन के अकाल पड़ जाई. जब एक लाख रुपिया बिना कामे कइले मिले वाला बा त कतहीं काम कइला के का जरूरत !

हर नागरिक के साल भर में इलाज वगैरह खातिर 25 लाख रुपिया तक सरकार दी. 140 करोड़ वाला देश में एकर लागत कतना होखी ई अढ़ाई हजार पाँच सौ रुपिया के बात करे वाला महान अर्थशास्त्री जोड़िये लिहले होखिहें.

आ आखिर में आरक्षण के सीमा तूड़े के वादा. आरक्षण जाति का आधार पर दीहल जाई, सामने वाला के योग्यता भा गरीबी देख के ना.हम आरक्षण के पक्षधर हईं बाकिर आरक्षण देबे के तौर-तरीका न्यायसंगत होखे के चाहीं. जइसे कि मान लीं कि पिछड़ी जाति ला 27 फीसदी के आरक्षण बा. एह आरक्षण पर नौकरी देबे खातिर दीं भलहीं ओही जाति के बाकिर ओकर गरीबी आ योग्यता का आधार पर.ई ना होखे कि मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार वाला आरक्षण के फायदा उठा ले जासु आ घूरहु तिकवते रहि जाव ! विधायक, सांसद, क्लास वन आफिसर, इंकम टैक्स देबे वाला के बाल बच्चा के आरक्षण ना मिले के चाहीं काहे कि ओकरे जाति के लोगन के हक मरा जाई. एक पुश्त ना त दू पुश्त, तीन पुश्त से आरक्षण के फायदा उठावत परिवार के आगहूं आरक्षण दीहल ओकरे जातिवालन का साथे अन्याय होखी.जइसे कि मुलायम के पार्टी के अध्यक्ष अखिलेशे बनीहें, दोसर कवनो यादव ना, इहाँ ले कि उनुकर चाचा शिवपालो ना! लालू के पार्टी के मुखिया तेजस्विए रहिहें दोसरा कवनो यादव के ई हक ना दीहल जा सके. पप्पू यादव अपना अइसने कुछ सपना का चलते लालू का निशाना पर आ गइलें.

आखिर में हम इहे कहल चाहब कि 30 दिन में देश के दिवालिया करे खातिर होखत साजिश जनता बेकार करा दी अकर हमरा पूरा भरोसा बा. दुनिया के सगरी ताकत आजु हिन्दुस्तान का खिलाफ काम करत बाड़ी सँ आ ओकनी का तरफ से देश के विरोधी गोलन के भरपूर शह आ सहायता मिल रहल बा.

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