बाग के बाग चउरिए बा

– बिनोद सिंह गहरवार

केकर – केकर धरी नाम कमरी ओढ़ले सँउसे गाँव. भारत के असहीं ना अजीब देश कहल जाला. हालांकि हमार मानम त हम त कहब कि भारत अजीब तरह के गरीब देश ह. गरीब के मतलब इंहवा धन-दउलत से नइखे. साँच पूछीं त भारत चरित के मामला में साँचो सबसे गरीब देश ह. देखीं ना आजादी लड़ाई में कतना जाना सूली प चढ़ गइलन. आ राज भोगलन जाकिट में गुलाब खोंस के कबूतर उड़ावे वाला चाचा. जेपी बुढ़उती में इमरजेंसी के अंगोरा के धाह सहलन आ गरुअन के हरियरी खा-खा के लोग हरियर हो गइल. अन्ना हजारे बेचारे उपवास के फेर में मरे से बँचले आ चेला शराब के समुंदर में डुबकी लगा के कट्टर ईमानदार बन गइल.

देंखी सभे आजादी के लड़ाई में जान गँवावे वाला सुभाष बोस, चन्द्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, सम्पूर्ण क्रान्ति के नायक जयप्रकाश नारायण आ अनशनधारी अन्ना हजारे ई लोग ओह जनम में एह लोग के जरूर करजा खइले होइहें. ना त इ कबो होला, माल महराज के आ मिरजा खेलस होरी. ई कुल्ह देख के हमरा त लागेला कि एह देश में आंदोलन प रोक लगा देवे के चाहीं. जनता मर-मर के आंदोलन करेला कि ओकर दुख दूर होई. उनकर दुख आउर बढ़ जाला. उनका मड़ईयो मुअसर ना होला. आ लोग के शीशमहल में डेरा गिर जाला.

अब देखीं ना देश में लोकतंत्र के सबसे पबितर जग हो रहल बा. एह में सभे हुमाद क के चुनाव के बैतरनी पार कइल चाहता. केहु- केहु त एह में समहरिये सरिक हो रहल बा. अब भाई जेकरा जवन बुझाए कहो. परिवारवाद कह के केहु का करी ? बड़ा खुश होई त अपना घरे रही. समहरिए चुनाव लड़े वाला केहु के रोकत त नइखे. एहिजा के दूध के धोवल बा ? राम केकरा ना भावस ? परिवारवाद के अछरंग उहे लगावता जेकर परिवारे नइखे. पार्लियामेंट त लोकतंत्र के मठिया ह. एह में लघानी नइखे लगावल कि फलना जइहें आ फलना ना जइहें. एह में सभे जा सकेला. कतना बढ़िया लागी जब माई, बेटा-बेटी, पति-पत्नी , भाई-भउजाई, बिदेश के नोकरी आ डाक्टरी छोड़ के दीदी-बेबी सभे एक साथे चार जून के लोकतंत्र के मठिया के शोभा बढ़इहें. कुल्ह मिला जुलाके देखीं त परिवारवाद कहाँ नइखे. बाग के बाग चउरिए बा. लोग के चिचियाये दीं. कउआ टरटराता आ धान सूखऽता.

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