कलयुग
- डॉ॰ उमेशजी ओझा रउरा मानी चाहे ना मानी, बाकिर धोखाघड़ी, ठगी आ एक दोसरा के टॉग खींचे के जमाना में ईमानदारी के मजे मजा बा. रउरा सभे के हमार…
First Bhojpuri Website & Resource for Bhojpuri Scholars
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मनबोध मास्टर दुखी मन से कहलें - असों होली ना मनाइब. मस्टराइन पूछली- काहें? ऊ कहलें - सूर्पनखा की नाक की चलते. बात सही बा. जहां-जहां…
- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मंदिर में मंथन भइल, मिली जाम से मुक्ति? जाम-झाम क नाम पर, आपन-आपन युक्ति.. नगर निगम में धांधली, गेट में ताला बंद. लाठी चार्ज में बहल…
- नीमन सिंह एक बेर के बात ह, नारद मुनि कहीं से गुजरत रहनी. ओही रास्ता में उनुका एगो आदमी मिलल, उ आदमी कुछ जियादही भोला–भाला, माने कि कुछ–कुछ…
- जयंती पांडेय रामनिहोरा. ऊ गांव -जवार के बड़ा पुरान नेता हवें. कौ हाली तऽ परधानी जीत भइल बाड़े. एक दिन भिनसहरे बाबा लस्टमानंद के दुअरा पर अइले. बाबा बैलन…
- प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” छोट रहनी तS कई बेर केहू-केहू कहि देत रहल कि ए बाबू अवतारी हउअS का? एकदिन रहाइल ना अउरी हम पूरा गाँव-गिराँव, हित-नात सबके बोलवनि अउरी…
- दिवाकर मणि रामलुभाया चाचा, गोड़ लागिले. खुश रहऽ ए गुणगोबर. कहऽ का हाल-चाल बा? आजुकाल्हि त ना देखाई देत बाड़ऽ ना तहरे बारे में कुछु सुनाते बा, अईसन काहे…