‘सूर्पनखा’ का नाक के चलते असों होली ना मनाइब.

- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मनबोध मास्टर दुखी मन से कहलें - असों होली ना मनाइब. मस्टराइन पूछली- काहें? ऊ कहलें - सूर्पनखा की नाक की चलते. बात सही बा. जहां-जहां…

महानगर अउर जिलन के, का बतलाई हाल?

- नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मंदिर में मंथन भइल, मिली जाम से मुक्ति? जाम-झाम क नाम पर, आपन-आपन युक्ति.. नगर निगम में धांधली, गेट में ताला बंद. लाठी चार्ज में बहल…

शिक्षा के गारंटी-जय हो! जय हो!!

- जयंती पांडेय रामनिहोरा. ऊ गांव -जवार के बड़ा पुरान नेता हवें. कौ हाली तऽ परधानी जीत भइल बाड़े. एक दिन भिनसहरे बाबा लस्टमानंद के दुअरा पर अइले. बाबा बैलन…

काहे लिहनी धरती पर अवतार

- प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” छोट रहनी तS कई बेर केहू-केहू कहि देत रहल कि ए बाबू अवतारी हउअS का? एकदिन रहाइल ना अउरी हम पूरा गाँव-गिराँव, हित-नात सबके बोलवनि अउरी…

फ्यूचर बहुत ब्राइट बा, चाचा!!

- दिवाकर मणि रामलुभाया चाचा, गोड़ लागिले. खुश रहऽ ए गुणगोबर. कहऽ का हाल-चाल बा? आजुकाल्हि त ना देखाई देत बाड़ऽ ना तहरे बारे में कुछु सुनाते बा, अईसन काहे…