Tag: व्यक्ति-व्यंजक निबन्ध

मानिक मोर हेरइलें

– आचार्य विद्यानिवास मिश्र भोजपुरी में लिखे के मन बहुते बनवलीं त एकाध कविता लिखलीं, एसे अधिक ना लिखि पवलीं। कान सोचीलें त लागेला जे का लिखीं, लिखले में कुछ…