राहि केतनो चलीं हम, ओराते न बा

(भोजपुरी ग़ज़ल) - शैलेंद्र असीम तहरी अँखिया में पानी बुझाते न बा पीर केतना सहीं हम, सहाते न बा रोज चूवेले टुटही पलानी नियन ई जिनिगिया के मड़ई छवाते न…

Scroll Up