गज़ल – जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया

  • डॉ. हरेश्वर राय

सियासी छेनी से कालिमा तरासल बिया I
चांदनी हमरा घर से निकासल बिया II

भोर के आँख आदित डूबल बा धुंध में I
साँझ बेवा के मांग जस उदासल बिया II

सुरसरी के बेदना बढ़ल बा सौ गुना I
नीर क्षीर खाति माछरि भुखासल बिया II

कोंपलन पर जमल बा परत धुरि के I
बूंद-बूंद खाति परती खखासल बिया II

खाली थोथा बचल बा उड़ल सार सब I
जिंदगी रेत जइसन पियासल बिया II


डॉ. हरेश्वर राय
प्रोफेसर ऑफ़ इंग्लिश शासकीय पी.जी. महाविद्यालय सतना, मध्यप्रदेश बी-37, सिटी होम्स कालोनी, जवाहरनगर सतना, म.प्र., 09425887079

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