भोजपुरी के नियमित रूप से प्रकाशित हो रहल पत्रिकन में खास जगहा बना लिहले बिया हेलो भोजपुरी पत्रिका. एकर जुलाई अंक मिलल त देख पढ़ के मन खुश हो गइल. पत्रिका में भोजपुरी सामग्री भरल बा त कुछ रचना हिंदी आ अंगरेजिओ में बा. सराहे जोग बहुत कुछ बा एह पत्रिका में बाकिर हमार जोर एह बात पर रही कि एकरा संपादन में तनिका धेयान अउर दिहला के जरूरत बा.
संपादन के काम सामग्री चुनले तक सीमित ना होले. चुनल सामग्रियन के काट-छाँट तराश के ओकरा के सही रूप दिहलो संपादन के सबले महत्व वाला हिस्सा होला. अनगढ़ हीरा के दाम तबे लागेला जब कुशल कारीगर ओकरा के बढ़िया से तराश देला. एगो अउर जरूरी काम होला पूरा पत्रिका में भाषा के एकरुपता बनवले राखे के. प्रिंट मीडिया के जिम्मेदारी एहमें अउर बढ़ जाला. भाषा के मानकीकरण का दिशा में हर पत्रिका प्रकाशन के प्रयासे आगा चल के भाषा के एगो सर्वमान्य रूप परोसेला. कई जगहा ‘इ’ का बदले ‘ई’ के प्रयोग आ बिना जरूरत सर्वमान्य शब्दन के रूप बदलल ठीक ना कहाई. माकान, हावा, आपाना, नाया, बातावत, फालाना जइसन व्यवहार हतोत्साहित करे के चाहीं. पात्र आ माहौल का हिसाब से कुछ जगहा त एह तरह के शब्द दिहल चल सकेला बाकिर सामान्य रूप से ना.
पत्रिका के पंजीयन शायद त्रिभाषी पत्रिका का रूप में बा एहीसे कुछ रचना हिंदी आ अंगरेजिओ में डालल बा. बाकिर पूरा से देखल जाव त एकरा के भोजपुरी पत्रिका कहे में हिचके के जरूरत ना पड़ी.
पूरा पत्रिका एहिजा डालल बा. एकरा के डाउनलोड क के खुद पढ़ीं. आ आपनो राय दीं.