गजल – हीरालाल ‘हीरा’

- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…

सुनऽ धरीछन अक्षय पाण्डेय के पाँचगो गीत

- अक्षय पाण्डेय (एक) सुनऽ धरीछन ! जिनिगी में बहुते जवाल बा छन भर हँसी-प्यार संग जी ले। पानी के जी भर उछाल के मुट्ठी में रेती सम्हाल के गुनऽ…

अनिल ओझा ‘नीरद’ के दू गो गीत

अनिल ओझा ‘नीरद’ (एक) दोसर का बूझी इहवाँ, दोसरा के बेमारी?ऊ त बूझऽतारी चीलम, जेह पर चढ़ल बा अँगारी।। देशवा के देखऽ अपना, आजु इहे हाल बा।नेता लोग का करनी…

सतीश प्रसाद सिन्हा जी के निधन

भोजपुरी गीत नवगीत के बरियार हस्ताक्षर सुप्रसिद्ध साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी के निधन के खबर पा के मन बहुते दुखी हो गइल. सतीश प्रसाद सिन्हा जी के जनम 1…

दू गो गीत

- डॉ० हरीन्द्र 'हिमकर' पहिल गीत कवन गाईं एह गीतन का गाँव में पाहुन-सन मन रहल लजाइल. धनखेती में फूटल सोना रुपनी बइठल बीनत मोना जाँता से जिनिगी लपटाइल छंद…

जुलूम कइलस रे…..

- ओमप्रकाश अमृतांशु कांचे कोंपलवा मड़ोड़ि दिहलस रे, इंसान रूपी गीधवा जुलूम कइलस रे. खेलत-कुदत-हँसत रहले हियरवा, अनबुझ ना जाने कुछु इहो अल्हड़पनवा, रोम-रोम रोंवां कंपकंपाई दिहलस रे, इंसान रूपी…

गीत

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से - 23वी प्रस्तुति) - रिपुसूदन श्रीवास्तव जिन्दगी हऽ कि रूई के बादर हवे, एगो ओढ़े बिछावे के चादर हवे. जवना घर में…

फागुन के तीन गो गीत

- डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल एक लागेला रस में बोथाइल परनवा ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे ! धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा इठलाले पाके…