दुमुंहा
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ललछौंहा कवनों फोड़ा टीसत रहे कुलबुलात रहलें चोरी चुपके परजीवी कृमि चीरा लगते अंउजाइल बहरियाए लगलें । तीखर घामे दँवकल भीत जुड़ाले पेटे पेट अदहन अस…
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- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी 1 पगे पग ठोकर समय के नचवना कइसन जिनगी सटत रोज पेवना. घुमल अस चकरी पलिहर जोताइल नमियो ना खेते बीया बोआइल उमेदे से अंखुवा…
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी घेंटा मिमोरत तोड़त - जोड़त आपन –आपन गायन अपने अभिनन्दन समझवनी के बेसुरा सुर बिना साज के संगीत साधना . झाड़ झंखाड़ से भरल…
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी धधके आन्दोलन के अगिया हो , बड़भागी भोजपुरिया . पहिली दरदिया कुल्ही आइके उमड़ल नीको नेवर बतिया मनही में घुमड़ल जुड़े लगने कुल्ही सह्भागिया हो,…
जयशंकर प्रसाद द्विवेदी बीच बाजार में उ जब घूँघट उठवनी केतनन के आह निकलल कुछ लोग नतमस्तक भईल केहू केहू खुस भईल बाकि कुछ के आवाज बिला गईल …
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी आस्तीन में पलिहा बढ़िहs मनही मन परिभाषा गढ़िहs कुछो जमइहा कबों उखरिहा गारी सीकमभर उचारिहs हे ! नाग देवता पालागी ! हरदम तोसे नेह देवता…
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी नइकी शादी छंटल बहुरिया डिस्को झारत भर दुपहरिया भइया फ्रिज में पानी राखस लुग्गा धोवे रोज तिसरिया अब मइया न बलाएँ लेती . बहल गाँव…
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी टीभी के परिचरिचा देखs अस लागे, गोंइठा घी सोखे। आन्हर कुकुर बतासे भूंके।। मिलत जुलत सभही गरियावत पगुरी करत सभे भरमावत पुतरी नचावत मुँह बिरावत एहनिन…
पिछला 15 मई का दिने पूर्वांचल भोजपुरी महासभा का तरफ से हिन्दी भवन, ग़ाज़ियाबाद में एगो भव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित कइल गइल जवना क सफलता देखा दिहलसि कि भोजपुरी…
- जयशंकर प्रसाद द्विवेदी कोइला से पटरी पचरल ले के शीशी घोटल सांझी खानि घरे मे माई ले रगड़ के मुंहो पोछल बा के इहवाँ जे दुलराइल नइखे । माई…