‘हिन्दी डे’ माने ‘हिन्दी-दिवस’ पर ‘भाषा-विचार’

-डाॅ. अशोक द्विवेदी आज दुनिया के बहुते भाषा मर-बिला रहल बाड़ी सऽ. एकर मतलब ई ना भइल कि जवन भाषा कवनो क्षेत्र-विशेष आ उहाँ के जन-जीवन में जियतो बाड़ी सऽ…

निरउठ

- डा. अशोक द्विवेदी दिल्ली फजिरहीं पहुँच गउवीं. तर-तरकारी कीने क बेंवत ना बइठुवे त सोचुवीं आलुवे-पियाज कीनि लीं. दाम पुछते माथा घूम गउवे. साठ रुपिया किलो पियाज रे भइया.…