भोजपुरी के रवींद्र महेंदर मिसिर का सृजन के विविध आयाम

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल साइते केहू भोजपुरिहा होई जे “अंगुरी में डँसले बिया नगिनिया रे, ए ननदी सैंया के जगा द.” आ “सासु मोरा मारे रामा बाँस के छिउँकिया,…

नीक-जबून-7

डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘सेंगर’ आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक-एक क के उघरत रहे. हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘सेंगर’ जी…

जिम्मेदारी

– रामरक्षा मिश्र विमल जिम्मेदारी सघन बन में हेभी गाड़ी के रास्ता खुरपी आ लाठी के बल नया संसार स्वतंत्र प्रभार जिम्मेदारी जाबल मुँह भींजल आँखि फर्ज के उपदेश आ…

झीमी-झीमी बूनी बरिसावेले बदरिया

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल झीमी-झीमी बूनी बरिसावेले बदरिया लागेला नीक ना । हँसे सगरी बधरिया लागेला नीक ना । सरग बहावेला पिरितिया के नदिया छींटे असमनवा से चनवा हरदिया…

फाग गीत २

-डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल फागुन के आसे होखे लहलह बिरवाई. डर ना लागी बाबा के नवकी बकुली से अङना दमकी बबुनी के नन्हकी टिकुली से कनिया पेन्हि बिअहुती कउआ के…

फाग गीत १

-डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल लागेला रस में बोथाइल परनवा ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे. धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा इठलाले पाके जवानी अँजोरिया गावेला…

फगुआ के सांस्कृतिक रंग में सेंधमारी

-डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल फगुआ कहीं भा होली, ई बसंतोत्सव हउवे. बसंत जब चढ़ जाला त उतरेला कहाँ ? एहीसे त होली के रंगोत्सव के रूप में मनावल जाला. प्रकृतियो…

अस्तित्व संकट से जूझत भोजपुरी बियाह गीत के परंपरा

– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल एहमें कवनो संदेह नइखे कि लोकसाहित्य में लोकगीत के जगह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बाटे. जनजीवन में एकरा व्यापक प्रचार के स्वीकार करत राधावल्लभ शर्मा जी…

विविधा : भोजपुरी साहित्य के एगो संदर्भ ग्रंथ

‘विविधा’ सुप्रसिद्ध आचार्य पांडेय कपिल द्वारा संपादित भोजपुरी पत्रिकन के संपादकीय आलेखन के संग्रह हऽ. ई सभ आलेख उहाँ के द्वारा संपादित लोग, उरेह, भोजपुरी सम्मेलन पत्रिका (त्रैमासिक) आ भोजपुरी…

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