कइसे कहीं ए भइया, कि फगुवा आवऽता

– तारकेश्वर राय देख ए बाबू, सुनऽ ए भाई देशवा हमार जरऽता । कहीं बस, कहीं कार, केहू खुनसे में बरऽता ।। सद्बुद्धि छोड़ छाड़ के, मनई धावऽता । कइसे…

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