फागुन के उत्पात: भइल गुलाबी गाल
– मनोज भावुक हई ना देखs ए सखी फागुन के उत्पात । दिनवो लागे आजकल पिया-मिलन के रात ॥1॥ अमरइया के गंध आ कोयलिया के तान । दइया रे दइया…
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– मनोज भावुक हई ना देखs ए सखी फागुन के उत्पात । दिनवो लागे आजकल पिया-मिलन के रात ॥1॥ अमरइया के गंध आ कोयलिया के तान । दइया रे दइया…