मीडिया के कुकुरन से एगो सवाल

एह लेख के मथैला पढ़ि के हो सकेला कि कुछ कुकुर नाराज हो जासु. कुछ भनक के भनभनाए लागसु भा कुछ भड़कि के भिड़े ला आ जासु. एहसे सवाल का पहिले एगो सफाई. हमहूं रउरे बिरादरी के हईं. बस जइसे कुकुरन के तरह तरह के प्रजाति होले वइसहीं मीडिया के कुकुरो कई तरह के होलें.
जब हमरा मन में ई सवाल उठल त सबसे पहिले हम कुछ जानकारी बटोरे के सोचनी. गूगल का जगहा हमार खोजी बिंग हउवे. बिंग से जब हम सवाल कइनी जाने ला कि Media is a watchdog त ऊ हमरा के एक करोड़ 31 लाख से अधिका लिंक दे दिहलसि.  पता ना Media is a barking dog पूछतीं त ऊ पता ना कतना लिंक खोज के देखा दीत.
बहुते मीडिया वाले शान से गर्वान्वित होखत बतावेलें कि मीडिया के कामे होला वाचडॉग वाला आ विसंगतियन पर भूंके वाला बार्किंग डॉग ह मीडिया. चूंकि हमहूं एगो मीडिया वाला हईं, अलग बाति बा कि भोजपुरी मीडिया वाला, से बतावल चाहत बानी कि हम कुकुर शब्द के इस्तेमाल काहे कइनी. हम श्वान भा कुत्ता लिख सकत रहीं. ई शब्द सुने में ओतना बाउर ना लागीत. त हमरा मशहूर लेखक मंटो के कहलका इयाद आ गइल जब उनुका पर अश्लीलता के मुकदमा पर अदालत में बहस होत रहुवे. मंटो कहलन कि औरत के छाती के हम छाती ना लिखतीं त का लिखतीं.
हो सकेला कि रउरा में से बहुते लोग आचार्य कहाए वाला प्रमोदी करिया कृष्णन के ऊ वीडियो ना देखले होखसु जवना में ऊ आईएनडीआई से जुड़ल सवाल पर खिसियाइल भभकि के बोल दिहलन कि मेक इन इंडिया, खेलो इंडिया, पेलो इंडिया वगैरह नाम राखे वाला से ई सवाल काहे ना पूछल गइल. टीवी चैनल के ऊ सूत्रधार तुरते एकर विरोध कइलसि कि एह तरह के फूहड़ बाति एहिजा ना होखे के चाहीं. बोलत घरी मर्यादा के ध्यान राखल जरुरी होला.
शब्द के मर्यादा के सीख त सुप्रीमो कोर्ट राहुल गाँधी के दिहलसि बाकिर ओह सीख के अनसुना कर दीहलन कांग्रेसी. अदालत सजा पर रोक लगवलसि, अछरंग से मुक्ति ना दिहलसि बाकिर कांग्रेसी अतना उछाह में आ गइल बाड़ें मानो राहुल हज क के आ गइल होखसु. अब हज क के अइला पर उहो सेकुलर कुकुर सवाल उठा सकेलें जिनका एकरा से विरोध ना होखीत कि मानो राहुल गंगा नहा के आ गइलें.  गंगा नहा के आइल आ हज क के आइल दुनु पुण्य के काम ह आ एहमें से कवनो के को बड़-छोट कहत अपराधु.
बाति निकलल त कतना बहकि गइल. पहिले जमाना में लिखनिहारन के कलम लिखल शुरु करे त लिखत जाव. अब लैपटॉप का कीबोर्ड पर अंगुरी ठोकल शुरु हो जाला त रुके के नामे ना लेब कई बेर. अबहियों इहो भइल. पिछला लेख में हम राड़ आ राँड़ के चरचा कइले रहीं. राँड़ माने विधवा त सभे जानेला बाकिर राड़ के माने में भरम हो सकेला काहे कि राड़ के कई गो माने प्रचलन में बा. जइसे कि कायर, निकम्मा, आ दुष्ट. अब हम जवना राड़ के उल्लेख कइल चाहत रहीं ऊ ई तीनो हवे, कायर एहसे कि ढेला मारि के भाग निकलेला, अधिकार होखतो कबो कवनो काम ना करे, कलम राखतो कबो कवनो कागज पर दस्तखत ना लिखे. काहें कि ऊ कतना दुष्ट ह ई बाति दोसर केहू जाने भा ना ऊ त जानबे करेला.
इहो लेख लमरल जात बा. हो सकेला कि पढ़े वाला अकूताए लागसु. एहसे मूल मुद्दा पर आवत बानी, मीडिया के कुकुर – एहमें हमहूं शामिल बानी – शब्दन के मर्यादा के धेयान काहे ना राखसु. अगर कवनो गिरोह आम आदमी पार्टी नाम के गिरोह बनवलसि त ओकरा के आप काहें कहे लगलसि मीडिया. कहे के चाहत रहे आआपा बाकिर कहे लगलें आप. काहें कि ऊ चाहल रहलें कि एह गिरोह के नाम कुछ इज्जत से लीहल जाव. ओह लोग से एगो सवाल. का अगर कवनो गिरोह भारतीय आम आदमी पार्टी बना ली त का ओकरा के बाप कहे लागी लोग ? जब हिन्दुस्तानी अवाम पार्टी बनल त ओकरा के हम कहे लागल लोग हैम – HAM – ना?
एही तरह जब आईएनडीए बनवलसि देश के विरोधी पक्षन के गिरोह त ओकरा के नाम दिआए लागल इंडिया. आप, हम, भा इंडिया – एह तीनों शब्दन के प्रयोग जमाना से होत आइल बा आ कवनो नया चीझु भा बतुस के अइसन नाम दीहल गलत माने के चाहीं.
आ अब इहो रेघरिया दीहल चाहत बानी कि मीडिया के कुकुर मोटामोटी तीन तरह के होलें. एगो गली के कुकुर जवन केहू के ना होला आ गली में आवे वाला हर अनजान भा अवांछित लागल आदमी भा जीव पर भूंके लागेला जेहसे कि गली के लोग सचेत हो जासु. दुसरका तरह के कुकुर ऊ होलें जिनका के बड़का लोग अपना घर में पोसेला. एह कुकुरन के केहू कुकुर कहि देव त कुकुरन के कवनो शिकायत होखी भा ना ओकरा के पोसे वाल खिसिया जइहें. तिसरका तरह के कुकुर ऊ होलें जे शुरु त कइलें गली के कुकुर बनि के. बाकिर गली में भोजन के कमी देखत कवनो ना कवनो दुआर ध लिहलें. ओह दुआर का सोझा लार टपकावत, पोंछ हिलावत बइठे के आपन सुभाव बना लिहलें. ओह दुआरो वाला ला ई काम सुबहिता के हो गइल. फुल टाइम कुकुर पोसे के खरचा आ झंझटो ना रहल आ अनेरिया कुकुरन आ अनेरिया लोगन से बचावो हो गइल.
अब ई मत पूछीं कि कवन मीडिया कुकुर कवना तरह के हउवें. बाकिर अतना जरुर बताएब कि गली के कुकुर आम आदमी पार्टी, हिन्दुस्तानी अवाम पार्टी, आईएनडिए भा आईएनडी एलाएंस बोलेलें आप, हम, इंडिया भा बाप ना. दुआरे बइठल कुकुर शीशमहल पर कबो ना बोलिहें काहें कि मिले वाला रोटी बन्द हो जाई. आ पोसुआ कुकुर ? ई त तरह तरह के घर में पोसाइल बाड़ें. इन्हनी के चिन्हलो आसान होला.
अब हम चलत बानीं. बाकिर चले से पहिले बतावत जात बानी कि अगर रउऱो मन कुछ भूंके के करत बा त नीचे दीहल जगहा पर आपन भूंकलका लिख दीं. आ अगर चाहत बानी कि रउरा दुआरे बइठल, लार टपकावत, पोंछ हिलावत एह कुकुरो के कुछ रोटी के टुकड़ा दे दीं त आजुए ना अबहिएं अपना नेट बैंकिंग भा वैलेट भा यूपीआई एप से anjoria@uboi के कुछ रुपिया भेज दीं, इयाद राखल करीं कि भोजपुरी का दुअरा बीस बरीस से बइठल ई कुकुर राउरो जिम्मेदारी हवे. जहिया हटि जाई तहिया से पता ना कवनो दोसर कुकुर भेंटाई कि ना.

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