हर रंग में रंगाइल : ‘फगुआ के पहरा’
– केशव मोहन पाण्डेय एगो किताब के भूमिका में रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ऊर्फ जुगानी भाई लिखले बाड़े कि ‘भाषा आ भोजन के सवाल एक-दोसरा से हमेशा जुड़ल रहेला. जवने जगही क भाषा गरीब…
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– केशव मोहन पाण्डेय एगो किताब के भूमिका में रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ऊर्फ जुगानी भाई लिखले बाड़े कि ‘भाषा आ भोजन के सवाल एक-दोसरा से हमेशा जुड़ल रहेला. जवने जगही क भाषा गरीब…
– विजय शंकर पाण्डेय श्रीमती आशारानी लाल क कथा संग्रह ‘लाज लागेला’ पर कुछ लिखे में हमहीं के लाज लागत हौ. जइसे सूरज के दीया देखावे में लाज न लगै…
– संकेत बी॰ बेदर्दी हालही में रिलीज भइल भोजपुरी फिलिम ‘खून भरी हमार मांग’ के निर्देशन पक्ष एतना कमजोर बा कि दर्शक सिनेमाघर में ई कहला से नइखन चुकत कि…
– मनोकामना सिंह ‘अजय’ आदरणीय डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल जी, सादर प्रणाम. अपने के भेजल “फगुआ के पहरा” सावन में भाई गंगा प्रसाद अरुण के मार्फत मिलल. राउर गजल के…
– डा॰अशोक द्विवेदी कविता का बारे में साहित्य शास्त्र के आचार्य लोगन के कहनाम बा कि कविता शब्द-अर्थ के आपुसी तनाव, संगति आ सुघराई से भरल अभिव्यक्ति ह. कवि अपना…