गोरखपुर के शाद कुमार भोजपुरी फिल्मोद्योग में आपन एगो पहिचान बना लिहले बाड़न. उनका निर्देशन में बने वाली ढेरे फिल्मन में से पहिलका फिल्म ह त्रिनेत्र. त्रिनेत्र में धर्मेश, विनय आनन्दम विजयलाल यादव, सीमा सिंह, सपना, पंकज केसरी जइसन मँजल कलाकार काम कर रहल बाड़े आ एह फिलिम के खूब चरचा हो रहल बा. बड़हन पैमाना पर एकर शूटिंग चल रहल बा आ गाना त पहिलही लोग का जबान पर बइठगइल बाड़ी सँ
अपना बारे में बतावत शाद कहेलें कि गोरखपुर से पढ़ाई कइलन. ओहिजे के सरकारी अस्पताल में कम्पाउन्डरिओ करत रहलें. सपना रहे डाक्टर बने के. कंपटिशनो दिहलें बाकिर रिजल्ट खराब हो गइल त भाग के मुंबई चल अइलें. एहिजा कुछ जानपहिचान वाला गाँव जवार के लोग का लगे रहे लगलन. ऊ लोग फिल्मन से जुड़ल रहे से शादो के काम मिल गइल. पहिला बेर कमल मुकुन्द के फिल्म नर्गिस के प्रोडक्शन मैनेजर के काम मिलल रहे. काम पसन्द ना रहे काहे कि झूठ ढेर बोले के पड़त रहे. फेर कैमरामैन बनलन चहलन आ सहायक का तौर पर कम से कम तीस पैंतीस गो फिल्म कइलन. सोचस कि अइसे कतना दिन ले चली. ढेरे फिल्म में कैमरा मैन के काम कइला से निर्देशनो के तजुर्बा मिले लागल रहे. माटी के सौगन्ध के हीरो धर्मेश से बात कइलन कि उनका लगे एगो बढ़िया स्क्रिप्ट बा आ ओह पर मिल के काम कइल जाव. धर्मेशो तइयार हो गइलें आ त्रिनेत्र के शुरुआत हो गइल.
एह फिल्म का बारे में बतावत शाद कहलें कि एगो सामाजिक संदेश दिहल गइल बा एह फि्लम में कि बहू के बेटी लेखा समुझी.महतारी आ भउजाई के इज्जत करे वाला लड़िका मेहरारू का बहकावा में आके ओह लोग के मान सम्मान भुला जाला उहो देखावल गइल बा त्रिनेत्र में बतवलें कि फिल्म के आठो गाना बड़ा मेहनत से बड़हन बड़हन सेट लगा के फिल्मवले बाड़े जवना में एगो मुजरो शामिल बा. कहलें कि जड़ से धीरे धीरे उपर उठला का चलते यूनिट के हर सदस्य का साथे उनुकर मित्रवत संबंध रहल. फिल्म त करीब एगारह आना पूरा हो गइल बा. एही बीचे एगो अउरी फिल्म के मुहुर्त हो गइल बा आ कुछ दोसरो फिल्मन के बात चल रहल बा.
शाद के पूरा भरोसा बा कि मेहनत आ इमानदारी से काम कइला के सुफल एक ना एक दिन जरुरे मिलेला आ उनुको मिलबे करी.
(स्रोत : खालिद)