जनता पार्टी के राज में भोला बाबू के कुछ दिन जेल में बितावे पड़ल रहे. ओह घरी के एगो किस्सा ऊ बड़ा चाव से सुनावे लन.
एगो कैदी जेलर का लगे गइल आ कहलसि कि हुजूर रात रामलीला भइल रहुवे.
जेलर पूछलन - त? मुँहे फेफरी काहे परल बा तोरा?ऊ कैदी सकपकात कहलसि - हुजूर, हनुमान जी राते के गइल अबहीं ले नइखन लउटल!