युवा तुर्क चन्द्रशेखर

भारत के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री आ बलिया के सांसद

उत्तर प्रदेश का बलिया जनपद का इब्राहिमपट्टी गाँव में एगो साधारण राजपूत किसान परिवार में जनमल चन्द्रशेखर आचार्य नरेन्द्र देव का संगति में आ के पकिया समाजवादी बनि गइलन. भारत के प्रधानमन्त्री का पद पर चहुँपे वाला ऊ पहिलका नेता, आ अब तकले आखिरी, रहुवन जे बिना कबो कवनो मन्त्री पद पर रहले सोझे प्रधानमन्त्री बनि गइलन. जवानी का दिन में इन्दिरा कांग्रेस में अपना बेबाक बेलाग बातिन का चलते उनुकर नाम युवा तुर्क पड़ि गइल. बुढ़ापा आ मरे तकले ऊ स्वभाव से युवे तुर्क रहि गइलन.

१७ अप्रैल १९२७ के सदानन्द सिंह आ द्रौपदी देवी का बेटा बनि के जनम भइल रहुवे. शुरूआती पढ़ाई गाँवे मे भईल. बाद में मिडिल स्कूल के पढ़ाई भीमपुरा से आ हाई स्कूल के पढ़ाई जीवनराम हाई स्कूल से भइल. १९४५ में मैट्रिक के परीक्षा पास करि के ऊ बलिया का सतीशचन्द्र कॉलेज से १९४९ में ग्रेजुएशन कइलन. एहि बीच १९४५ में दूजा देवी से बिआह हो गइल आ १९४७ में हैजा से महतारी द्रौपदी देवी के मौत हो गइल.

ग्रेजुएशन कइला का बाद ऊ इलाहाबाद युनिवर्सिटी से एमए करे चलि गइलन. ओह घरी इलाहाबाद के पूरब के आक्सफोर्ड कहल जात रहुवे. ओहिजा से १९५१ में राजनीति शास्त्र से एमए करिके ऊ बीएचयू से पीएचडी करे चलि गइलन. ओहिजा उनुकर भेंट कुलपति आचार्य नरेन्द्र देव से भइल. नरेन्द्रदेव जी उनुका के समाजवादी बना दिहलन आ चन्द्रशेखर रिसर्च छोड़ि के समाजवाद खातिर समर्पित हो गइलन.

राजनीति के उनुकर सफर शुरु भइल बलिया के प्रजा सोसलिस्ट पार्टी का सचिव पद से. फेरु १९५५ में यूपि के संयुक्त सचिव बनलन जहाँ ऊ दू साल रे रहलन. एहिबीच संघर्ष पत्रिका के सम्पादण भी कइलन.

संसद के सफर के शुरुआत भइल १९६२ में राज्यसभा सदस्य बनला से. १९६४ में कांग्रेस में शामिल हो गइलन. कांग्रेस में रहियो के उनुकर बेबाकी आ बेलागपन खतम ना भईल आ १९७२ में कांग्रेस के शिमला अधिवेशन में इन्दिरा गाँधि का मर्जी का खिलाफ कार्यसमिति के चुनाव लड़लन आ जीतियो गइलन. इन्दिरा गाँधि से उनुकर पटरी कबो ना बइठल आ जब १९७५ में देश में इमरजेन्सी लगावल गइल त विरोधी दल का नेतन का साथे साथे उनुकरो के जेहल में डालि दिहल गइल. १९ महीना ऊ जेल में कटलन. ओकरा बाद जब चुनाव के घोषणा भइल त हड़बड़ि में सगरे विपक्षी पार्टि जयप्रकाश नारायन का निर्देशन में मिल के जनता दल बना लिहलन. एह पार्टी के पहिलका अध्यक्ष बने के सौभाग्य चन्द्रशेखरे का मिलल. पार्टी का टिकट पर लोकसभा खातिर बलिया से चुनल गइलन. तबसे लेके अब ले, बीच का कुछ समय छोड़ि के जब ऊ एक हालि हारि गइलन, ऊ बलिया के एकक्षत्र सांसद आ नेता आ नीतिनियन्ता बनि के रहलन. बीच में ऊ पड़ोस का राज्य बिहार के छपरा जिला के महाराजगंज से सांसद रहलन.

चन्द्रशेखर के जीवन के एगो महत्वपूर्ण खण्ड रहुवे १९८३ में जब ऊ १० जनवरी १९८३ से २५ जून १९८३ का बीच पूरा देश के पद यात्रा कइलन. ४२६० किलोमीटर कर एह पदयात्रा से उनुका भारत के भीतरि समस्यन से परिचय भइल..

राजनीतिक घटनाक्रम का चलते १९९० में १० नवम्बर के ऊ भारत के प्रधानमन्त्री बनावल गइलन. ओह घरी देश के वित्तीय स्थिति बहुते खराब रहुवे आ देश दिवालिया घोषित होखे का कगार पर चहुँप गइल रहुवे. एगो साहसिक कदम उठा के ऊ देश के सोना गिरवी रखि के देश के ओह संकट से उबरलन, जवना खातिर कुच लोग उनुकर आलोचनो कइल. बाकिर संकट के ओह घड़ी में ई साहसिक कदम देश के इज्जत खातिर जरूरी बनि गइल रहुवे. संसद में बहुमत ना रहला का चलते ऊ मार्च १९९१ में इस्तीफा दे दिहलन. बाकिर चुनाव होखे आ ओकरा बाद नया प्रधानमन्त्री बने तक ऊ २५ जून १९९१ ले देश का प्रधानमन्त्री पद पर बनल रहलन.

मल्टिपुल मायलोमा बीमारी का चलते पिछला कइ साल से उनुकर तबियत खराब चलत रहुवे. अन्त में ८ जुलाई २००७ के उनुकर मृत्यु हो गइल. ९ जुलाई के दिल्ली का एकता स्थल पर उनुकर अन्तिम संस्कार कइल गइल.

देश का दोसर नेतन का विपरीत उनुकर दूनू बेटा राजनीति से बाहर बाड़न आ अपना व्यवसाय में लागल बाड़न.

चन्द्रशेखर जी के दू गो किताब, मेरी जेल डायरी आ डायनामिक्स आफ सोशल चेन्ज, भारत के राजनीति खातिर महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रन्थ बारी सँ. ढेर दिन ले ऊ यंग इण्डियन के सपादक भी रहीं.