चढ़ जा बेटा सूली पर .....

Revised on 18th Oct. 2007.

हेलल हेलल भईंसिया पानी में

पता ना एकरा आगा रउरा कहीं ई त नइखीं कहत कि दुहहूँ ना पवनी जवानी में.

जवन भइल तवन त होखहीं के रहुवे. बाकिर जेहतरे भइल ओह तरे ना. ई त गो मजगर खेलाड़ी के खेल हो गइल. आम आदमी के करोड़न रुपिया के चोट लागल. कुछ लोग करोड़न कमा लिहलन. कुछ बुड़बक बेचा गइलन.

केहू बताई कि इ कवन बुद्धिमानी रहल हऽ कि मंगल के साँझ खा एगो तोप दाग दिहल गइल कि पार्टिसिपेटरी नोट का बारे में रोक लगावे पर विचार कइल जा रहल बा. बिना कवनो नीति बनवले एहतर के अनेत का पाछा केहू ना केहू जरुर रहुवे जे कमा लिहलसि.

जवना तरह से सेंसेक्स सेंसलेस बिहेवियर करि रहल हा तवना के सेंस में ले आवे खातिर ई झटका जरुरी रहल हा बाकिर तरीका से. एहमें त जे भीतर केजानकारी रखले होखि से त बनि गइल बाकिर बाकी आदमी?

भाजपा एह मामिला के संसदीय समिति से जाँच करवावे के माँग कइले बा से ठीक बा. जाँच होखे के चाहीं. पता त लागो कि वित्तमंत्री के सफाई आवे में अतना देरी काहे भइल.

अब जब बाति पार्टिसिपेटरी नोट के उठिये गइल बा त एक बात त पक्का बूझात बा कि देर सबेर अब पार्टिसिपेटरी नोट के पार्टिसिपेसन बन्द होखे वाला बा. तब विदेशी निवेशो कम होखी, डालर कम आई, रुपिया कमजोर पड़ी. रुपिया कमजोर होखि त आईटी वालन के कमाई बढ़ी. बैल मरी त गिद्ध चिल्होर खइबे करिहन. ई प्रकृति के नियम हवे. ना त जियल मुश्किल हो जाई.

अबहियों हम सलाह देम कि हो सके त टाइम रहते दूह लीं, ना तऽ भईंसिया पानी में हेलहीं वाली बिया.

Revised on 10th Oct. 2007.

का हो गइल अचके कि सेंसेक्स अतना उछल गइल ?

लेफ्ट का संगे सुलह हो गइल ?

मध्यावधि चुनाव के खतरा टलि गइल ?

कर्नाटक में राजनीतिक स्थायित्व आ गइल ?

देश के आर्थिक व्यवस्था सुधर गइल ?

बैंक के नीति बदल गइल ?

सरकार के नीति बदल गइल ?

कवनो कम्पनी के कारू के खजाना हाथ लाग गइल ?

दू महीना का भीतर सेंसेक्स में तीन हजार के तेजी के कारण कुछुवो तऽ होखेके चाहीं जे आम आदमी के लउकत होखो !

छोट मुँह बड़ बाति नइखीं कहे के चाहत, बाकिर इहो कांग्रेसे के राज हऽ. भुलाईं जनि कि कबो हर्षद मेहता आ केतन पारिख नाम के खेलाड़ियो रहुवन. अबकि बेर ओह खेलाड़ी के नाम का हऽ ? के जानत बा ?

हम तऽ बस अतने कहेम कि बिगड़ल साँढ़ के नाथे के कोशिश जनि करीं. चढ़ल बानीं तऽ चढ़ल रहीं, उतरलो में खतरा बा. नइखीं चढ़ल तऽ फरके रहीं.

ना तऽ चढ़ जा बेटा सूली पर भला करेगा राम के नारा लगावत कूद जाईं. हमार का !

Original on 19th Sept 2007

शेयर बाजार काल्हु सोलहवाँ आसमान पर चहुँप गइल आ सेंसेक्स एक दिन में अब तकले के सबले बड़हन उछाल मारि के १६००० का उपर चलि गईल.

याद करीं १८ अगस्त के हम लिखले रहनी कि खरीददारी में समझदारी बा. ओह दिन हम लिखले रहीं कि शेयर बाजार गिरत उठत रहेला. गिरला से परेशान मत होखीं आजु लिखत बानीं कि उठला से पगलाईं जनि. शेयर बाजार गिरत उठत रहेला. बतिया दुनू एकही बा.

शेयर बाजार में रउरा पइसा कमाये आइल बानीं. पइसा कमाईं आ पइसा बचा के राखीं. जब चट्टी चौपाल हर जगहा शेयर बाजार के बाति होखे लागो, राह चलते रउरा के लोग सलाह देबे लागो तऽ बूझ लीं बाजार गरम बा. इहे टाइम होला जब गरम लोहा के पीट के अपना मन मुताबिक साँचा में ढालल जा सकेला. बच के निकल जाईं. नगदी में बदल लीं शेयरन के. फेर मौका मिली. आजु ना तऽ दू महीना बाद! देश में मध्यावधि चुनाव के खतरा पूरा बाटे. जहिये चुनाव के घोषणा हो जाई तहिये ई बाजार लड़खड़ा जाई. काल्हु अमेरिका में बैंक ब्याज का कटौती पर बाजार उछलल तऽ काल्हु अपना देश का राजनीति का चलते ढिमलाइयो सकेला. पिछला महीना जे लोग खरीदले होखी ऊ तऽ आजु आराम से बेच के निकल सकेला. नगदी हाथ में रही तऽ कहियो टेक्निकल करेक्शन भेंटइबे करी. ओह दिन फेर घुस जायेम.

जाड़ का दिन में कउरा तपले बानीं कि ना ? घुसकऽ आ घसकऽ. आग मधिमावऽ तऽ नियरा आ जा, लहके तऽ तनी पीछे हटि जा. आजु बाजार लहकल बा. तनी दूरे से तापीं. अबहीं खोरे के जरूरत नइखे.

हम इ बाति आजु आराम से कह सकऽतानीं, काहे कि हम एह लड़ाई से फरका बानीं. हमरा लगे पइसे नइखे कि शेयर खरीदीं. एहसे हमार कवनो मतलबि नइखे रउरा के सलाह देला के. जेकरा नोहे ना रही ऊ बकोटी का ? बाकिर हम फरका से देखत बानीं तऽ जवन बूझात बा तवन बोल देत बानीं.

याद रखीं, शेयर मार्केट में गरमी बनवले राखे खातिर, दाम चढ़वले राखे खातिर बहुत उछाह के जरूरत होला. का हो गईल यदि अमेरिका के बैंक ब्याज दर में चौथाई ना आधा प्रतिशत के कटौती हो गईल तऽ ? सब डलरवा हिन्दुस्ताने में आ जाई का ? हिन्दुस्तान के बिजनेस मूल रुप से हिन्दुस्तान का माहौल पर, हिन्दुस्तान सरकार के आर्थिक मौद्रिक नीति पर निर्भर बा. आजुकाल्हु जवन हालात बा कहियो ई सरकार गिर सकेले. अगिला सरकार में के बहुमत में आई ई कहल ना जा सके. कांग्रेस भा भाजपा अपना बल पर बहुमत में आ जाये तऽ दोसर बाति बा. अगर लेफ्ट भा नोव्हेयरन का समर्थन पर टिके के पड़ी तऽ बड़ा महँगा पड़ी. बाजपेयी सरकार के दिन याद करीं जब तेलगु देशम भा जयललिता अपना समर्थन के कतना दाम लगावत रहे लोग. आजुवो लेफ्ट कतना बड़ दाम माँगत बा सरकार के बनवले राखे खातिर. माया के चली तऽ दिल्ली के कनाट प्लेस तूड़ के ओहिजा कांसीराम के मुर्ति लगवा दिहन !

एहसे कि बाजार में करेक्शन आवे ओकरा पहिले भँजा लीं. बाकिर राउर मरजी !