अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

आपन काम करत जा बन्दे

आपन काम करत जा बन्दे छोड़ के दुनिया कऽ फिकर,
जब भी आई अन्त समइऽया चहुँ ओर होखी राउर जिकर।

बानी जे सच्चा तऽ फिर काहे माथा पर बल बा,
दुनिया के पानी पियवला में नाही कोइ छल बा,
पियावत पनिए बानी ईऽ त रउए के देखे के पड़ी,
ओकरा में आइऽल कचरा के साफ करे के पड़ी,
एमा चूक भइऽल जे भइया हो जाई सब चोकर,
आपन काम करत जा बन्दे...।।

आईना में देखला पर सब कुछ नजर आ ही जाला,
बाकि पीठ पर जमल मइऽल त बस जमते ही जाला,
जरुरत बा ईहे मइऽल क मकड़जाल के सुलझावे कऽ,
केहु पारखी नजर के अपना दिल में दिल से बसावे के,
ठीक से पालिश ना कईऽला से सब हो जाऽई भऽकर,
आपन काम करत जा बन्दे...।।

आपन काम करत जा बन्दे छोड़ के दुनिया कऽ फिकर,
जब भी आई अन्त समइऽया चहुँ ओर होखी राउर जिकर।