अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

"स्वर्ग क दरवाजा"

एक आदमी बहुत बड़ आध्यात्मिक संत से मिले गइल आ उनकर बड़ बड़ बात सुन के स्वर्ग के दरवाजा के देखे कऽ इच्छा जाहिर कइलस. बस केहु तरह से ऊ एक बार देखे चाहत बा कि स्वर्ग के दरवाजा कइसन होला. "ई सब एतना आसान नाही बा", ओकरा संत महाराज के संदेश मिलल.

आदमी के मालूम रहे कि जवना चीज खातिर ऊ जा रहल बा ऊ ओतना आसान नइखे से उहो पूरा तैयारी के साथे गइल रहे आ अपना मकसद के पूरा करे खातिर कुछुओ करे के तैयार रहे. आदमी के मंशा अउरी दृढ़ निश्चय देख के संत महाराजो पसीज गइले आ ओकरा के स्वर्ग के दरवाजा देखे खातिर दू गो रास्ता बतवले. एक या त ऊ दरवाजा देखे के पात्रता राखत हो भा पात्रता पावे खातिर ऊ सब करे जवन कि संत महाराज ओकरा से करे के कहें. बातचीत भइला पर आदमी के समझ में आइल कि ओकरा पास पात्रता नइखे से ऊ उ सब करे के तैयार बा जवन कि स्वर्ग के दरवाजा देखे खातिर करे के बा.

संतजी ओकरा से कहले कि कम से कम एक महीना तक झूठ ना बोले के होखी. " ई कवन मुश्किल काम बा? हम एकरा के जरुर पूरा कर लेब", एही वादा क साथ आदमी संत से एक महीना बाद मिले खातिर कह के अपना घरे चल गइल. कलयुग के जमाना में आदमी जब जब सच बोललस तब तब ओकरा के या त मार खाये के पड़ल या फिर नुकसान उठावे के पड़ल. बाकि उहो जिद्द ठान लिहलस कि स्वर्ग के दरवाजा देखिये क दम ली. से मरत जियते सच बोले क वादा निभा के पूरा एक महीना बाद ऊ संत महाराज के पास पहुँच गइल.

घोर कलयुग में सच बोलला के कारण ओकरा हर कदम पर जमाना के मार सहे के पड़त रहे बाकि ऊ सच बोले के अपना जिद से पाछा ना हटल. नतीजा ई भइल कि जब ऊ संत महाराज के पास पहुँचल तब ओकर हालत ना त जियला आदमी जइसन रहे ना ही मरला आदमी जइसन. ओकरा के देखते संत महाराज के यकीन हो गइल कि सामने वाला आपन शर्त पूरा कर के आइल बा अउर अब उनका के ओकर इच्छा पूरा करे के पड़ी.

संत महाराज ओकरा के एगो चाभी दिहले अउरी एगो दरवाजा देखा के कहले कि यदि तोहरा चाभी से दरवाजा खुल जाई त भीतर चल जइहऽ. तोहरा के स्वर्ग क दरवाजा देखे क मौका मिल जाई. आ ना खुली त बूझ लीहऽ कि तू महीना भर में एक न एक झूठ जरुर बोलले बाड़ऽ. चाभी लेत खानी आदमी के चेहरा विश्वास से भरल रहे आ देखते देखते ऊ दरवाजा खोल के भीतर चल गइल. पूरा ८ घंटा बाद जब ऊ आदमी भीतर से वापस आइल तब ओकरा शरीर के जख्म के सारा निशान गायब रहे अउरी ऊ एकदम बदलल आदमी नजर आवत रहे. संत महाराज ओकरा के देख के पुछले कि अब आगे का इरादा बा तब ऊ कहलस कि महाराज जब स्वर्ग क दरवाजा देखही लेले बानी तब कम से कम ओकरा पार एक बार जा के सब कुछ देखे क इच्छा बा. एकरो खातिर आप जवन कहेब हम जरुर पूरा करेब. संत महाराज सोच में पड़ गइले, उनका के आदमी के दृढ़ शक्ति पर यकीन हो गइल रहे तबहियो भी ऊ जाने चाहत रहन कि आखिर में दरवाजा के ओ पार जाके, सब देख के, ई आदमी करी का. आदमी संत महाराज के कहलस कि ऊ दुनिया के बताई कि स्वर्ग क दरवाजा देखला में अउरी ओकरा ओ पार जाये में कवन सुख बा.

संत महाराज पहिले त मुस्कइले फिर ओकरा के ऊ सब करे के कहले जवन कि दरवाजा के पार जाये खातिर जरुरी रहे.

एह बारि ऊ बतवले कि एक महिना तक झूठ ना बोले के पड़ी साथे साथे माँस, मदिरा, शबाब, से दूर रहे के पड़ी. केहु मदद के आ जाये त आपन दर्द भुला के ओकर मदद करे के पड़ी. परोपकार पहिले आपन पेट बाद में. काम कठिन रहे बाकि एक महीना बाद फिर से आदमी संत महाराज क पास पहुँच गइल. एह बारि ओकर हालत पहिलहु से खराब रहे अउरी ऊ केहु तरह से घिसट घिसट के संत महाराज के पास पहुँचल रहे. संतजी के फिर से यकीन हो गइल कि ऊ आदमी आपन काम कर के आइल बा से एक बार फिर संत महाराज ओकरा के एगो चाभी दिहले अउरी एगो दूसर दरवाजा देखा के कहले कि अगर तोहरा चाभी से दरवाजा खुल जाये त भीतर चल जइहऽ तोहरा स्वर्ग के दर्शन हो जाई.

विश्वास के अनुसार आदमी दरवाजा खोल के अन्दर गइल आ जब ऊ घंटा बाद वापस आइल तब ओकर चेहरा संतो से ज्यादा चमकत रहे अउरी ऊ पहिले से ज्यादा स्वस्थ नजर आवत रहे. संत जी ओकरा से कहले कि आज तक स्वर्ग के दरवाजा के भीतर केहु ना गइल बा आ उहो सिर्फ दरवाजा ही देखले बाड़े से जाने चाहत बाड़े कि स्वर्ग के दरवाजा के भीतर आखिर अइसन का बा?

आदमी एक पल तक कुछ सोचलस फिर संत महाराज से कहे शुरु कइलस "आप के एक महीना तक झूठ ना बोले के होखी साथे साथे माँस, मदिरा, शबाब, से दूर रहे के पड़ी. केहु मदद के आ जाये त आपन दर्द भुला के ओकर मदद करे के पड़ी. परोपकार पहिले आपन पेट बाद में. " एतना कहला के बाद आदमी संत महाराज के गद्दी पर बइठ के वही सब करे लगल जवन कि संत महाराज करत रहन अउरी संत महाराज स्वर्ग क दरवाजा के भीतर जाये खातिर ऊ सब करे लगले जवन कि उनका से कहल गइल रहे.

एतना कहनी कहला के बाद अभय गुरु सबकरा से कहलन कि "खुद के मरला बिना स्वर्ग ना मिली अउरी दूसरा क मेहनत स आपन फायदा उठवला पर खुद के नुकसाने होखी.