अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

कलयुग में चोर बेईमान

कलयुग में चोर बेईमान ही सबसे ज्यादा नरियावेला,
वोट नाही देबे वाला ही सरकार के ज्यादा गरियावेला।।

केकर लीं नाम, कइऽसे करी बखान इहे सवाल बा,
एगो के छोड़ के दुसरा के लिहला पर बड़ बवाल बा,
शुरुआत हम अपना गिरेबान से ही कर रहल बानी,
खुद, कुछ कईंली ना दुसरा के गाली दे रहल बानी,
कुछ ना करे वाला ही दुनिया भर कऽ बतियावेला,
कलयुग में चोर बेईमान ही...।।

जनता कऽ भलाई कऽ नारा देके भईल रहे हड़ताल,
टैक्स कऽ दर घटावे खातिर होखे के चाही पड़ताल,
जनता के भलाई खातिर सरकार पसीज ही गईऽल,
टैक्स कम होते ही व्यापारी कऽ लाभ बढ़ गईऽल,
बड़ मछरी छोट मछरी के अइऽसे ही हथियावेला,
कलयुग में चोर बेईमान ही...।।

ई तऽ सिर्फ एक बानगी हव नरियावे वालन कऽ,
सर झुक जाई गाली सुन संसद चलावे वालन कऽ,
पूरे देश के सामने खानदान कऽ परिचय हो जाला,
सब देख चोर तऽ मजा लेला साव चुप हो जाला,
साव कऽ रोना देख सब ओके अउरी जुतियावेला,
कलयुग में चोर बेईमान ही...।।

आपन कहत कहत सबकर ढ़िढ़ोरा पिटा ही गईऽल,
कुछ ना कह के भी सबकर पोल खूला ही गईऽल,
सांसद लोग सबकर प्रतिनिधी बा सबके मालूम बा,
उनका कह के सबके कहा गईऽल हमके मालूम बा,
इनके चुने वाली जनता बकिया सबके जुतियावेला,
कलयुग में चोर बेईमान ही.....।।

कलयुग में चोर बेईमान ही सबसे ज्यादा नरियावेला,
वोट नाही देबे वाला ही सरकार के ज्यादा गरियावेला।।