अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

घुरहु चच्चा बनाम लेखक

घुरहु चच्चा के फिर नया रोग लग गयल,
हमहुँ बनब लेखक कऽ जोग लग गयल..

सवेरे सवेरे हमार दरवाजा खट खटवलन,
पहली बार चच्चा हमके जरको ना भइलन,
उनके बुजुर्गीयत कऽ हमके रहल एहसास,
कर ही देहलन हमसे आपन नया परिहास,
आज के दौर में लिखना हव सबसे आसान,
ब्लाग खोल सब बन गइलन राइटर महान,
बुढ़ौती में आके हमरो आँख खुल ही गयल,
घुरहु चच्चा के फिर नया......

हमरे कहे के पहिले ही दाग दिहलन सवाल,
हमार मदद करा नाही तऽ हो जाइऽ बवाल,
किताब के विषय खातिर नाही हव परेशानी,
पड़ोसी नेतावन कऽ खोज लेब कवनो कहानी,
बस तनी हम्मे ऊऽ सबकर नमवा लिखा दे,
इंटरनेट पर ब्लाग खोले कऽ रास्ता देखा दे,
नउआ के देखते हमरो हजामत बढ़ गयल,
घुरहु चच्चा के नया रोग.....

किताब लिखे कऽ काम नाही हव आसान,
एतना सुनते कहलन जमा के बीड़ा पान,
हर ऐरा गैरा ब्लाग पर लेखक बनत हव,
किताब से नेतावन कऽ भाग चमकत हव,
मानत हइऽ मोहल्ला कर दी हमके बेघर,
पड़ोसी देश मे् घर बन जाइ हमार सुघर,
जेके कोइ ना पूछे कुछ लिखते चढ़ गयल,
घुरहु चच्चा के नया रोग.....

धरम संकट आ गयल हमरे पास विकट,
सब जाने खातिर आ गइलन अउर निकट,
लिखे कऽ एक से एक बतवलन आइडिया,
लिखे विदेशी पर कह के आइ लव इंडिया,
विदेशी के नाम से सब हाथो हाथ लेबेलन,
दुत्कारे के बाद भी तोहरे भाव बढ़ावे लन,
उनके सवाल कऽ जवाब हम्मे ना सुझायल,
घुरहु चच्चा के नया रोग.....

घुरहु चच्चा के फिर नया रोग लग गयल,
हमहुँ बनब लेखक कऽ जोग लग गयल..