अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

डंका बज रहल बा

नया साल के स्वागत क डंका बज रहल बा.
हमरा सामने पिछला साल के करनी सज रहल बा.

शुरुआत भइल रहे कुछ कर दिखावे क इरादा से,
कइसे कहीं मेटाइल हर जज्बा इंसानी बुरादा से,
हम केहू से कम नहीं क नारा सबके रट गइल,
हर घर अस्पताल बनके मरीजन से पट गइल,
एगो डाक्टर खोजे में पूरा जिनगी भज रहल बा,
नया साल के स्वागत.......

हर कदम पर गडहे खोदे वालन से सामना भइल,
जहवाँ जायब शैताने मिली क दिल से कामना भइल,
मरीजन के बीच जब आइल डाक्टर बने के खयाल,
वायरस बन के छा गइल सबका भीतर इहे सवाल,
स्वरग का चाह में सारी दुनिया मुरदन से पट गइल,
नया साल के स्वागत.......

जानत बानी आप सब इहे कहेब ई कहानी हमार बा,
फोड़ के देखीं ई गगरा एमा सारी दुनिया शुमार बा,
इहो करब उहो करब के कथनी से दुनिया भुकाइल बा,
मृगतृष्णा क मिथ्या अभिमान से इंसानियत सुखाइल बा,
पिये के का कहीं अब त बरतनो लहू से मज रहल बा,
नया साल के स्वागत.......

एही से सब कुछ भूल के दे रहल बानी हम नया नारा,
दूसरा के जरूरत पूरा कइले पर मिली जय जयकारा,
डाक्टर बनके दरवाजा पर करे के होखी मरीजन के इंतज़ार,
हर घाव के मरहम बनेब फिर चाहे मरे के हो केतनो बार,
नया साल सबके मुबारक हो मनवा इहे भज रहल बा..
नया साल के स्वागत.......

नया साल के स्वागत क डंका बज रहल बा.
हमरा सामने पिछला साल के करनी सज रहल बा.