ट्रेड में सब फेयर होला

आलोक पुराणिक

ई निबंध ओह छात्र का कापी से लिहल गइल बा जवना के निबंध प्रतियोगिता में पहिला जगहा मिलल बा. निबंध क विषय रहे ट्रेड फेयर -

ट्रेड फेयर देखके हमनी का पता लागऽता कि ट्रेड चाहे जइसन होखो, करे वाला ओकरा के फेयरे माने ले. ट्रेड फेयर में पाकिस्तानी स्टाल वाला दिल्लीये क माल पाकिस्तान का नाम पर महंगा बेचत रहले. हो सकेला कि पाकिस्तानो में भारते के नाम पर पाकिस्तानी माल मिलत होखे. दूर के ढोल सुहावन लागे भा ना, दूर के माल जरुरे सुहाना लागेला. दिल्ली वाले दिल्ली के बजाय कराची का माल खरीदे में दिलचस्पी देखावेले. सुनी ला कि कराची वाले चीनी आइटम लेबे ले, बम से लेके लिपस्टिक ले.

एह तरह खऱीदला बेचला से रिश्तन में मजबूती आवेला. भारत पाकिस्तान के संबंध मजबूत करे के एगो उपाय इहो बा कि दुनु तरफ के लोग के एक दोसरा क ग्राहक बना दिहल जाव. एने वाके समोसे ले जा के ओने बेचें, ओने वाले छोले भटूरे ले आ के एने बेचस. तरह तरह के परस्पर कारोबार बढ़ावे के सुपरिणाम सामने आई. हिंदुस्तान आ पाकिस्तान वालन के झगड़ा खतम हो जाई. अपना गाहकन से केहू ना झगड़े. चीन आ पाकिस्तान में एही चलते झगड़ा ना होखे, दुनु एक दोसरा के गाहक हउवन.

वइसे चीनो के माल के गाहक ट्रेड फेयर में रहले. इंडिया में सगरी घटिया माल चीन के आइटम बताके बेचल जाला. चांदनी चौक के एगो दुकानदार के कहनाम बा कि चीनो ले घटिया माल हमनी का बना सकी ला, बाकिर माल चीने के बिकाला. इंडिया वाले एही तरकीब के इस्तेमाल करे ले आ देसीओ आइटम चीन के बनल बता के बेच देले. सगरी होशियारी पाकिस्तानियने में नइके. इंडियो वाला कम नइखन.

जेबकटो कम नइखन, एह बात क अंदाजा अकसरहा ट्रेड फेयर में हो जाला. कतना कारोबारी आपन पंडाल लगाके जतना ना कमा पावस, बिना पंडाल लगवले जेबकट ओहले बेसी कमा ले ले. एहीसे पता चलेला कि जवन धंधा पंडाल लगाके ना कइल जाव, ओकरो कारोबारी ट्रेड से फेयर कमाई कर ले जाले.

जवना घरी ट्रेड फेयर चलेला, ओह घरी दिल्ली में दूइये तरह के कैटेगरी होला, एक त ऊ लोग, जे ट्रेड फेयर देख आइल बा, दोसरे ऊ लोग जे ट्रेड फेयर देखके नइखे आइल. ट्रेड फेयर में जाये वाला पता ना काहे ओहिजा से लवटी के ई बतावल ना भुलास कि ऊ ओहिजा से का का खरीद के ले आइल बाड़न. कई घरपरिवार में शांति बनल रहे, एकरा खातिर जरुरी बा कि सरकार ट्रेड फेयर से लवटि के ओकर किस्सा सुनावे पर कानूनी रोक लगा देव.

हँ, बाकिर दिल्ली के माल के पाकिस्तानी माल बता के बेचे वालन पर रोक ना लागे के चाहीं. पाकिस्तानी झूठन देख के संतोष होला कि मामिला दुनु तरफ एके जइसन बा.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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