असली लिपस्टिक नकली नेता

आलोक पुराणिक

पाकिस्तान अजबे देश हऽ, करीब करीब सब कुछ नकलिये बावे. सरकार लोकतंत्र के बतावल जाला बाकिर असल में हऽ ना. सरकार आईएसआई का लगे बा. आईएसआई तालिबान का लगे बा. तालिबान केकरा लगे बा, एह पर खोज जारी बा. खैर, मसला ई बा कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति कहलन कि उनुका के भारत के विदेश मंत्री फोन कर के हड़कवलन. बाद में पता चलल कि ऊ कवनो नकली प्रणव मुखर्जी रहुवे, असली वाला कहतारें कि हम त बाते ना कईनी.

फोन तक ले नकली होखे लागल बाड़े पाकिस्तान के. पाकिस्तान में कब कहवां का हो जाये, कुछ पता ना चले. जईसे बतौर बेनजीर के पति ऊ जरदारी राष्ट्र के पति बन गईलन. पहिले मुशर्रफ फ्लाप जनरल रहुवन बाद में टाप नेता हो गईलन. उनुका के असली जनरल मानल जाव भा नकली नेता, अबहीं ले क्लियर नईखे भईल. खैर, नकली फोन वाला एह पाकिस्तानी टेकनीक के कुछ धाँसू इस्तेमाल एह तरह से हो सकेला :-

१. जवना कांग्रेसी नेता के डरवावे के होखे ओकरा के शिवराज पाटिल बन के फोन कइल जाव आ पुछल जाव कि अगिला लोकसभा चुनाव में रउरा इलाका में प्रचार करें आ जाईं का?

२. भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी के डरवावे के होखे त उनुका से लिपस्टिक एसोसियेशन का नकली प्रतिनिधि बन के बात करे के चाहीँ आ पुछे के चाहीं कि भारत में मिले वाली लिपस्टिकन पर आपन प्रतिक्रिया दीं. नकवी साहब के लिपस्टिक का राष्ट्रनिर्माण में योगदान विषय पर आयोजित सेमिनार के मुख्य वक्ता बने के नकली निमन्त्रणो भेजल जा सकेला.

३. सीनियर चोरन के लोकल थानेदार बनके फोन कईल जा सकेला आ धमकावल जा सकेला कि हर हफ्ता दिहल जाये वाली रकम में बढ़ोतरी करऽ. बाकिर डर बा कि एह धमकी से कहीं चोर सांचहूं मत डर जाव. असली थानेदार त चोरन से अदबे से बात करेले.

४.शेयर कारोबारियन के डरवावे खातिर बतौर किडनैपर फोन कईल जा सकेला कि हतना रुपया रख जा ना त किडनैप कर लिहल जईबऽ. बाकिर एह धमकी में खतरा ई बा कि कि कहीं ऊ अपनहीं मत कह देव कि भईया किडनैप करिये लऽ. शेयर में घाटा लगला का बाद उधारी देबेवाला अतना परेशान कर दिहले बाड़न सन कि किडनैपे हो गईल बढ़िया लगत बा. एह धमकी का बाद त सांचहूं किडनैप करे के पड़ी.

चलीं, पाकिस्तान से केहू फोन कईले बा. बतावत बा कि नेता ऊ भलहीं नकली होखो डाकू असली हऽ.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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