बयानन में खुदमुख्तारी

आलोक पुराणिक

आतंकवाद का खिलाफ लड़ाई के प्रोग्रेस एह तरह से बा :

१. केन्द्रीय विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी कहले बाड़े कि हमनी के खुद अपनहीं कड़ा कदम उठावे के पड़ी. पूरा दुनिया से कवनो खास उमेद ना राखल जा सके. एकर मतलब ई लगावल जाय कि अब प्रणव मुखर्जी अमेरिका के कोंडालिजा राइज का बयानन का सहारे ना चलिहन, रोज अपनहीं सबेरे चार गो आ सँझिया चार गो बयान दिहल करीहें. कम से कम बयानन का मामिला में त आदमी के खुद मुख्तार होखे के चाहीं.

२. आतंकवाद के हमनी का बर्दाश्त ना करब जा, प्रणव मुखर्जी ई बाति कोंडालिजा राइज के बता दिहले बाड़न. कोंडालिजा ई बाति जरदारी के बता दिहले बाड़ी. जरदारिओ फौरन बता दिहले बाड़े कि आतंकवाद के हमनियो का बर्दाश्त ना करब. सबकेहू सबका के फोन सेम चिट्ठी से, ईमेल से, जईसे भी हो सकत रहे वइसे बता दिहले बा. अब एहसे अधिका कइले का जा सकेला. मंगल ग्रह आ शुक्र ग्रह वाला अबहीं केहू भेंटाइल नइखे, ना त ओकरो के बता दिहल जाई कि आतंकवाद के बरदाश्त ना कईल जाई.

३. कड़ा कदम उठा लऽ ना त .... ना त कड़ा कदम के एगो आउरी बयान जारी कर देम, ओकरा बाद एगो आउर, एगो आउर.... बयानन के त बोरा के बोरा भरल पड़ल बा. आ ओहमें से कुछ बोरा इंसानिओ शकल में बा, आ हम खालि अंतुलेजी के बात नइखी करत.

४. कड़ा कदम के लेटेस्ट ई बा कि पब्लिक एकरा के खबर में देखे से नकार देहले बिया आ अब एकरा के ब्रेक में भा इश्तिहारे में ठेलल जा सकेला. से कड़ा कदम देखे खातिर प्लीज इश्तिहार देखीं.

५. अबकी बेर अलगा तरीका से कड़ा कदम उठावल जाई, प्रणव मुखर्जी के ई बयान अबहीं अबहीं आईल बा. मतलब कि अब से बयान दिन भा साँझ का बजाय रात में दिहल जाई, ई डिफरेंट होखी. दिन में बयान सुन सुन के पब्लिक बोर हो गईल बिया. सुनला से नकार देत बिया, से रात में जब पब्लिक खौफ का सन्नाटा भा सन्नाटा के खौफ टाइप मारू प्रोग्राम देखत होखी, ओहिबीचे चुपके से ब्रेक का टाइम में ई बयान देखला दिहल जाई. एक झटका से बयान आई आ पब्लिक बयान से बच ना पाई.

आईं मरघट में जिंदा कार्यक्रम देखल जा आ कड़ा कदम के इंतजार कईल जाव.


आलोक पुराणिक जी हिन्दी के विख्यात लेखक व्यंगकार हईं. दिल्ली विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्राध्यापक हईं. ऊहाँ के रचना बहुते अखबारन में नियम से छपेला. अँजोरिया आभारी बिया कि आलोक जी अपना रचनन के भोजपुरी अनुवाद प्रकाशित करे के अनुमति अँजोरिया के दे दिहनी. बाकिर एह रचनन के हर तरह के अधिकार ऊहें लगे बा.

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