अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

धारावाहिक कहानी

कंकाल के रहस्य (दसवाँ भाग)

अबले.....

पाड़ेजी, ठलुआ के कम्प्यूरग्राफी से कमली के बढ़िया फोटो बनवा के ठलुआ के दे दिहले जेकरा के ऊ सोहन के देखवलस कि ई लड़की बड़ी डिमांड मे बिया. सोहन कमली के फोटो देख के परेशान हो जाला जेकरा बारे में पाड़ेजी यस. पी. साहब के प्लान ए के कामयाबी के सूचना देबे ले आ प्लान बी के शुरु करे के सुझाव देबे ले. का बा प्लान बी..? आगे पढ़ीं...

यस. पी. साहब क आफिस जहाँ यस. पी साहब एगो सब इंसपेक्टर के कुछ समझा रहल बाड़े.

'डिड यू अण्डरस्टैण्ड..?' (समझ ल कि ना) यस. पी. साहब ओकरा के पूरा बात समझवले के बाद पूछले...

'यस सर...' (जी हुजूर अच्छा तरह से)

'ध्यान रहे उसे पता नही चलना चाहिये कि कोई उसके पीछे है...'

'आप जरको चिन्ता मत किजीये सर उसको जरा भी भनक नहीं न लगेगा...'

'यू मे गो...' (तू जा सकत बा ड़)

यही इन्सपेक्टर दुपहरिया में एगो सिनेमा हाल के बहरी पान के दुकान पर खाड़ होके के सिनेमा के टिकट खिड़की के तरफ नजर गड़वले बा जहँवा सोहन टिकट खरीद रहल बा. जब सोहन टिकट लेके हाल के अन्दर चल गईल तब इंसपेक्टर भि तेजी से भितरी गईल आ टिकट खरीद के हाल के अन्दर चल गईल. ए समय उ सादा वेश में रहे से केहु के अंदेसा भी ना हो सकत रहे कि सामने वाला पुलिस वाला बा.

सिनेमा हाल में अबही सिनेमा शुरु ना भईल रहे से इंसपेक्टर के आसानी से देखा गईल कि सोहन कहाँ बइठल बा. उ सोहन के दू लाइन पीछे बइठ के सोहन पर नजर राखे लागल. तनिका देर बाद जब सिनेमा शुरु होखे के कारण अंधियारा भईल तब इंसपेक्टर के लागल कि केहु सोहन के बगल में आ के बइठल बा.

कुछ देरी बाद सोहन के बगल में बइठे वाला मनही उठ के बहरी चल गईल. का करे के चाहीं का ना करे के चाहीं के सोच में इंसपेक्टर बइठले रह गइले आ मध्यान्तर हो गइल. मध्यान्तर भईला पर भी जब इंसपेक्टर के सोहन में कवनो हरकत ना देखाई दिहल तब ऊ उठ के सोहन के पंजरा गईले जहाँ पर उनका के दाल में कुछ काला देखाई दिहल. अपना शक पे पुष्टि करे खातिर जब ऊ सोहन के हिलवले तब पता चलल कि सोहन के देहलीला खतम हो गईल बा. उनका त जईसे साँप सूंघ गइल पर अब कुछ ना कईल जा सकत रहे. ओह आदमी के गईले तऽ जईसे युग बीत गईल रहे.

ई घटना के कारण सिनेमा के बकिया खेला बन्द करा दिहल गईल आ कुछ ही देर में पूरा हाल में सिर्फ पुलिस वाला नजर आवत रहन. पुलिस वाला के आपन काम करे के बीच में एक तरफ कोना में पाड़ेजी ठलुआ साथे इंसपेक्टर से पूछताछ में लगल रहले.

'जब ऊ आदमी सोहन के पास से उठ के गईल तब राउर ध्यान केहर रहे..?' पाड़ेजी सवाल कईले.

जीऽऽऽऽऽऽऽ?' इंसपेक्टर के बुझाइये ना दिहल कि का जवाब दिहल जाव.

'हमरा कहे के मतलब रहे कि उ आदमी सिनेमा हाल में ही कहीं दुसरा जगह जाके बइठ गईल कि बहरी अलंग गईल..?'

'जी हम ओकरा के बाहर के तरफ जात के देखलीं... पहिले हम ई सोच के ध्यान ना देले रहीं कि शायद बाथरुम में गईल होई..'

'फिर..?'

'फिर हम सोहन के पास से हटल जरुरी ना बूझलीं..' इंसपेक्टर के चेहरा से लागत रहे कि ऊ जवाब भले दे रहल बा पर ओकरा से जवाब देत बनत नईखे.

'जवन कि आवे वाला आदमी के लियावल ठंडा पियला के बाद ना जाने कब के खतम हो गईल रहे...'

'जी... लेकिन...?'

'लेकिन वेकिन तोहरा कुछुओ ना बूझाई काहे से कि तोहरा जईसन आधा से ज्यादा आबादी के लागेला कि ऊ लोग सही काम कर रहल बाड़े लेकिन ओह लोग के ओकर फल सही नईखे मिलत..खैर .. तू जा सकत बा ड़..बकिया काम हम कर लेब....'

'जी.. लेकिन....' ओकरा चेहरा से लागत रहे कि ऊ काफी घबराईल बा.

'घबरा मत.. तोहार कवनो शिकायत ना करेब.. अब जल्दी से जा...' पाड़ेजी कहले त ऊ चुपचाप सर झुका के चल गईल जेकरा बाद पाड़ेजी ठलुआ से बतियावे लगले..

'तब हो.. तनि बतई ब कि इनका जगहा तू होख त, त का कर त..?'

'एम्मे बतावे का हौ गुरु सोहन के त हम कब्बो पकड़ लेइत.. हम त ओकरे पीछे ही जाइत....' ठलुआ आराम से जवाब दिहलस त पाड़ेजी के खुशी भईल.

'बहुत बढ़िया.. तब चऽल बहरी चलके ओ अदमीये के बारे में कुछ पता लगावल जाये.' कहत के पाड़ेजी बहरी भेरा जाये लगले आ साथे साथे ठलुआ भी पिछिया लिहलस.

का भईल बहरी गईला के बाद..? का पाड़ेजी के कवनो दुसर सबूत मिलल..? का पाड़ेजी अब भी कमली अउरी सोहन के कतल के गुत्थी सुलझा लिहें.. जाने खातिर इंतजार करीं अगिला अंक के...

दसवाँ भाग खतम............